गुरुग्राम फ्लैट फ्रॉड: ED ने ₹33 लाख जब्त किए

🏗️ फ्लैट खरीदारों से धोखाधड़ी: ED ने गुरुग्राम में की छापेमारी, ₹33 लाख कैश जब्त; CIRP में RP की साठगांठ का खुलासा

बिल्डर, RP और Nauseva Build well LLP के ठिकानों पर PMLA के तहत कार्रवाई

गुरुग्राम/नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (Directorate of Enforcement – ED) के गुरुग्राम जोनल ऑफिस ने एक महत्वपूर्ण मामले में दिल्ली-एनसीआर में छापेमारी की है। यह मामला मेसर्स एंगल इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड, रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल (RP), और नउसेवा बिल्डवेल एलएलपी (Nauseva Build well LLP) तथा इसके भागीदारों से जुड़ा है।

ED ने यह कार्रवाई PMLA, 2002 के प्रावधानों के तहत कॉरपोरेट देनदार (Corporate Debtor) के कॉरपोरेट इनसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस (CIRP) के दौरान संभावित साठगांठ (Collusion) के सबूतों के आधार पर की है।

💰 छापेमारी में मिले सबूत

  • जब्ती: तलाशी अभियान के दौरान ₹33 लाख की बेहिसाब नकदी (unexplained cash) और विभिन्न डिजिटल डिवाइस जब्त किए गए हैं।

  • जांच का आधार: ED ने यह जांच गुरुग्राम पुलिस और दिल्ली EOW द्वारा दर्ज FIRs के आधार पर शुरू की थी, जिसमें गुरुग्राम के सेक्टर 70 स्थित ‘कृष फ्लोरेंस एस्टेट’ प्रोजेक्ट में फ्लैटों की डिलीवरी न देने का आरोप है।

🚨 CIRP में साठगांठ का गंभीर आरोप

  • अधूरा प्रोजेक्ट: जांच में सामने आया कि 14 एकड़ की जमीन पर यह प्रोजेक्ट 10 साल से अधिक समय से अधूरा पड़ा है, जिसमें केवल तीन टावर बने, पर वे भी पूरे नहीं हुए। इसके चलते होमबायर्स एसोसिएशन द्वारा दिवाला कार्यवाही (Insolvency Proceedings) शुरू की गई थी।

  • मुख्य लाभार्थी गिरफ्तार: इस धोखाधड़ी के प्रमुख प्रमोटर और लाभार्थी अमित कात्याल को पहले 17 नवंबर 2025 को गिरफ्तार किया गया था। उनके डिजिटल डिवाइस से मिले सबूतों में CIRP प्रक्रिया की देखरेख कर रहे रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल (RP) की मिलीभगत की जानकारी मिली है।

  • होमबायर्स को मजबूर करना: छापेमारी से प्राप्त साक्ष्यों से पता चला है कि रिजॉल्यूशन को लागू करने के लिए, होमबायर्स को पुलिस में दर्ज शिकायतें वापस लेने के लिए मजबूर करने की साठगांठ की गई थी।

    • पीड़ित होमबायर्स, जो एक दशक से अधिक समय से पीड़ित थे, उन्हें SRA (सक्सेसफुल रिजॉल्यूशन एप्लीकेंट) और RP द्वारा रखी गई शर्तों को मानने के लिए मजबूर होना पड़ा।

    • ED के अनुसार, यह शर्त जानबूझकर डाली गई थी ताकि पूर्व प्रमोटरों को आपराधिक देनदारियों से बचाया जा सके, जो IBC (Insolvency and Bankruptcy Code) की मूल भावना के खिलाफ है।

🏦 सरकारी बैंक से धोखाधड़ी और संपत्ति का कम मूल्यांकन

जांच एक सरकारी बैंक को धोखा देने से संबंधित भी चल रही है। CIRP के दौरान 2 एकड़ जमीन का मूल्यांकन ₹160 करोड़ किया गया था, जबकि CIRP प्रक्रिया से पहले ही एक MoU के माध्यम से इसे केवल ₹31 करोड़ में फर्जी तरीके से बेचकर न्यूनतम रिकवरी की गई थी।

📄 RP की भूमिका पर सवाल

ED को RP के ठिकानों से ऐसे गोपनीय दस्तावेज मिले हैं, जो सीधे आरोपी प्रमोटरों के साथ साझा किए गए थे।

  • यह जानकारी RP द्वारा NCLT (National Company Law Tribunal) के समक्ष दायर ‘परिहार आवेदनों’ (Avoidance Applications) के विपरीत है।

  • इससे यह स्थापित होता है कि RP ने गबन की गई राशि की वसूली के दावों को निष्क्रिय करने के लिए सक्रिय रूप से साठगांठ की थी।

मामले में आगे की जांच जारी है।


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