सिद्धी पॉवर्ड बाइ ह्यूमेनिटी ने पहली बार घर-घर जाकर छेड़ा पर्यावरण अभियान

सिद्धी पॉवर्ड बाइ ह्यूमेनिटी के वॉलंटियर्स ने लोगों को पौधे वितरित कर मनाया विश्व पर्यावरण दिवस

वायु प्रदूषण कम करने के लिए सिद्धी पॉवर्ड बाइ ह्यूमेनिटी के वॉलंटियर्स ने पौधे वितरित कर लोगों के दिल जीते

सिद्धी पॉवर्ड बाइ ह्यूमेनिटी ने नारियल के खोल में रखे पौधे वितरित करके चलाया अनोखा पर्यावरण अभियान

सिद्धी पॉवर्ड बाइ ह्यूमेनिटी ने शुरू किया अपना वार्षिक ग्रीन सिद्धी अभियान्, पृथ्वी की दशा सुधारने और पर्यावरण को दुरुस्त करने की दिशा में कार्य

सिद्धी पॉवर्ड बाइ ह्यूमेनिटी ने अनोखे ढंग से वायु प्रदूषण कम करते हुए मनाया विश्व पर्यावरण दिवस, अपनी तरह का सबसे बड़ा अभियान

सिद्धी पॉवर्ड बाइ ह्यूमेनिटी के वॉलंटियर्स ने संस्थापक डॉ. मीना महाजन के मार्गदर्शन में दिल्ली, फरीदाबाद, नोएडा, गुड़गांव, मेरठ और बंगलौर में 5000 घरों में जाकर उपहार में दिये पौधे।

इस पहल का उद्देश्य सिर्फ पौधे उपहार में देना ही नहीं था, बल्कि लोगों को पर्यावरण की मौजूदा बिगड़ती दशा और इसे तत्काल ठीक करने की आवश्यकता के बारे में जागरूक करना भी था।

चिलचिलाती गर्मी और उच्च आर्द्रता के बीच, स्वयंसेवकों ने सुबह 6 बजे अनेक स्थानों पर यह अभियान शुरू किया। उन्होंने घरों के दरवाजे खटखटाये और लोगों से समस्या को समझने का आग्रह किया।

अभियान की खास बात यह रही कि तुलसी के पौधे को नारियल के टूटे हुए खोल में रखकर वितरित किया गया। नारियल के छिलके काउपयोग करने के पीछे विचार यह रहा कि यह पानी बचाने का कार्य करेगा और बेकार खोल का इस्तेमाल भी हो जायेगा। उनके उत्साहऔर जुनून ने लोगों को उनकी बात सुनने और कुछ नया सीखने के लिए मजबूर कर दिया। सिद्धी के नन्हें स्वयंसेवकों की टीम ने जादू करदिखा

या। डॉ. मीना ने आवश्यक बदलाव लाने के लिए, 2 से 16 वर्ष तक के बच्चों को प्रशिक्षित किया है।

‘बच्चों में परिवार व समाज को प्रभावित करने की क्षमता होती है। हमने अपने ग्रह को जो नुकसान पहुंचाया है, उसका खामियाजा भी इन बच्चों को ही भरना है, ‘ डॉ. मीना ने कहा।

उनके शब्दों में – हम लोगों की मानसिकता में बदलाव लाने के मिशन पर काम कर रहे हैं। हमें अपने अभियान के दौरान बहुत से ऐसे लोग भी मिलेजिन्हें इस बात की कोई परवाह नहीं थी कि स्वयंसेवक क्या कहना चाहते हैं। कुछ लोगों ने पौधे लेने से इनकार कर दिया और कहा कि इससे क्या फर्क पड़ेगा। यह बात मुझे परेशान करती है कि निस्वार्थ भाव से की जा रही सेवा को समाज में अभी उतना सम्मान नहीं मिल रहा।’

सिद्धी ने अपनी सभी पहलों और अभियानों को संयुक्त राष्ट्र के विकास लक्ष्य 2030 के अनुरूप प्लान किया है। सिद्धी के स्वयंसेवकों का संदेश साफ था कि महंगे एयर प्यूरीफायर खरीदने से अच्छा है कि अधिक से अधिक पेड़ लगाये जायें।

पूरा पारिस्थितिकी तंत्र अब खतरे में है। इसके किसी भी हिस्से को देखिए- पेड़, जानवर, मिट्टी, पानी सभी कुछ पर भारी दबाव है और इन सबका शोषण हो रहा है।

विस्तार के नाम पर शोषण चल रहा है, जो सब कुछ नष्ट कर देगा। सिद्धी ने सभी को एकजुट होने और जीवन को बचाने के लिए उचित कदम उठाने का आग्रह किया है।

Sunit Narula – 9312944740

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