कोयला परिवहन में प्रथम मील संयोजकता परियोजनाएँ
फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी (एफ.एम.सी.) परियोजनाएँ खदानों से पारंपरिक सड़क परिवहन के स्थान पर कन्वेयर बेल्ट, रैपिड लोडिंग सिस्टम और एकीकृत कोयला हैंडलिंग संयंत्रों जैसी मशीनीकृत प्रणालियों का उपयोग करके कोयला निकासी को आधुनिक बनाती हैं। एफ.एम.सी. परियोजनाओं के प्रमुख लाभ ये हैं:
ये डीजल-आधारित ट्रकों की आवाजाही को समाप्त करके वायु प्रदूषण और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को महत्वपूर्ण रूप से कम करते हैं, जबकि संलग्न और धूल-नियंत्रित प्रणालियां पर्यावरणीय प्रदर्शन में सुधार करती हैं।
वे तीव्र, उच्च क्षमता वाले तथा पूर्णतः यंत्रीकृत कोयला प्रबंधन और लदान को संभव बनाते हैं, जिससे बाधाएं कम होती हैं तथा कार्य पूरा होने में लगने वाला समय बेहतर होता है।
एफ.एम.सी. प्रणालियां मैनुअल हैंडलिंग को न्यूनतम करते हुए कोयले की गुणवत्ता को संरक्षित रखती हैं तथा परिवहन के दौरान होने वाले नुकसान को सीमित करती हैं।
रेल साइडिंग या लोडिंग पॉइंट तक प्रत्यक्ष, ऊर्जा-कुशल परिवहन के माध्यम से परिचालन और परिवहन लागत कम हो जाती है।
सड़क यातायात में कमी से व्यावसायिक सुरक्षा बढ़ती है, दुर्घटना का जोखिम कम होता है, तथा खनन क्षेत्रों में कार्य स्थितियों में सुधार होता है।
कोयला मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2030 तक 1092 मीट्रिक टन क्षमता वाली 102 फ़र्स्ट-माइल कनेक्टिविटी परियोजनाएँ स्थापित करने की योजना बनाई है। वर्तमान में, 429.5 मीट्रिक टन क्षमता वाली 44 एफएमसी परियोजनाएँ चालू हैं। एफ.एम.सी. परियोजनाओं की समय-सीमा इस प्रकार है:
वित्तीय वर्ष | परियोजनाओं की संख्या | क्षमता (एम.टी.वाई.) |
वित्त वर्ष 2025-26 (शेष अवधि) | 11 | 88 |
वित्त वर्ष 2026-27 | 12 | 102 |
वित्त वर्ष 2027-28 | 15 | 201 |
वित्त वर्ष 2028-29 | 18 | 229 |
वित्त वर्ष 2029-30 | 02 | 42 |
कुल | 58 | 662 |
वित्त वर्ष 2029-30 तक, उपर्युक्त एफ.एम.सी. परियोजनाओं के पूरा होने पर, एफ.एम.सी. के माध्यम से अनुमानित कोयला प्रेषण 1,092 एम.टी.पी.ए. है – जिसमें सी.आई.एल. से 994 एम.टी.पी.ए., एन.एल.सी.आई.एल. से 63.5 एम.टी.पी.ए. और एस.सी.सी.एल. से 34.5 एम.टी.पी.ए. शामिल है।
उपलब्ध अनुमानित उत्पादन आंकड़ों के आधार पर:
कंपनी | एफ.एम.सी. (एम.टी.पी.ए.) के माध्यम से अनुमानित प्रेषण | अनुमानित कुल उत्पादन (एम.टी.पी.ए.) | % एफ.एम.सी. के माध्यम से प्रेषण |
कोल इंडिया | 994 | 1,042.8 | 95.3% |
एन.एल.सी.आई.एल. | 63.5 | 75.5 | 84.1% |
एस.सी.सी.एल. | 34.5 | 90 | 38.3% |
कुल | 1,092 | 1,208.3 | 90.5% |
वित्त वर्ष 2029-30 तक, इन तीन सार्वजनिक उपक्रमों से कुल अनुमानित कोयला उत्पादन का लगभग 90% एफ.एम.सी. का उपयोग करके परिवहन किए जाने की उम्मीद है।
एफ.एम.सी. परियोजनाओं के लिए अनुमानित कुल पूंजीगत व्यय लगभग ₹31,367.66 करोड़ है। इस निवेश में मशीनीकृत कोयला हैंडलिंग संयंत्र, त्वरित लोडिंग प्रणालियाँ, बंद कन्वेयर नेटवर्क, एकीकृत साइलो, रेलवे साइडिंग और निर्बाध मशीनीकृत कोयला निकासी के लिए संबंधित बुनियादी ढाँचा शामिल है।
फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी (एफ.एम.सी.) परियोजनाएँ बंद कन्वेयर सिस्टम और साइलो के माध्यम से कोयले की गुणवत्ता में सुधार करती हैं, जिससे धूल, पत्थरों और नमी से होने वाला प्रदूषण कम होता है। मशीनीकृत लोडिंग एक समान आकार, नियंत्रित प्रेषण और न्यूनतम मैनुअल हैंडलिंग सुनिश्चित करती है, जिससे क्षरण और ग्रेड मिश्रण को रोका जा सकता है। परिणामस्वरूप, अंतिम उपयोगकर्ताओं – विशेष रूप से बिजली संयंत्रों और उद्योगों – को अधिक स्वच्छ, अधिक सुसंगत कोयला प्राप्त होता है, जिससे दहन दक्षता बढ़ती है और उत्सर्जन कम होता है। एफ.एम.सी. परियोजनाएँ विश्वसनीय और टिकाऊ कोयला रसद की दिशा में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक हैं।
यह जानकारी केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी है।
ब्यूरो चीफ, रिजुल अग्रवाल