पर्यावरण अपराध: ED ने की ₹79 Cr ज़ब्त

🏭 ₹80 करोड़ की संपत्ति जब्त! ज़ीरा फैक्ट्री मामले में ED का बड़ा एक्शन, मेसर्स मैलब्रोस इंटरनेशनल की जमीन और मशीनरी कुर्क

जालंधर। प्रवर्तन निदेशालय (ED) के जालंधर आंचलिक कार्यालय ने पर्यावरणीय अपराध (Environmental Crime) से जुड़े एक बड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बड़ी कार्रवाई की है। ED ने मेसर्स मैलब्रोस इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड (M/s Malbros International Pvt Ltd) की ₹79.93 करोड़ रुपये मूल्य की अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क (Provisionally Attached) किया है।

कुर्क की गई संपत्तियों में जमीन, भवन, और प्लांट एवं मशीनरी शामिल हैं। यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA, 2002) के तहत की गई है।

💧 पानी में जहर घोलने का आरोप

ED ने यह जाँच पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Punjab Pollution Control Board) द्वारा मैलब्रोस इंटरनेशनल के खिलाफ दर्ज आपराधिक शिकायत के आधार पर शुरू की थी।

मुख्य आरोप:

  • कंपनी पर जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के प्रावधानों का उल्लंघन करने का आरोप था।

  • कंपनी अवैध रूप से रिवर्स बोरिंग के माध्यम से अनुपचारित अपशिष्ट जल (Untreated Wastewater) को गहरे भूजल में डाल रही थी, जिससे बड़े पैमाने पर प्रदूषण फैल रहा था।

🚨 बड़े पैमाने पर पर्यावरणीय क्षति और स्वास्थ्य जोखिम

ED की जाँच में खुलासा हुआ कि ज़ीरा, फिरोजपुर स्थित यह औद्योगिक इकाई (गांव मंसूरवाल) जानबूझकर प्रदूषण फैलाकर ‘अपराध की आय’ (Proceeds of Crime) अर्जित कर रही थी।

  • लगातार प्रदूषण: कंपनी लगातार और गुप्त रूप से अनुपचारित अपशिष्ट को रिवर्स बोरिंग के माध्यम से भूजल में डाल रही थी।

  • इकोलॉजिकल क्षति: इस अवैध कार्य से जल प्रदूषण के रूप में बड़े पैमाने पर अपूरणीय पारिस्थितिक क्षति (Irreparable Ecological Damage) हो रही थी।

  • प्रभाव: इस प्रदूषण के कारण आसपास के गांवों में फसलों का नुकसान, मवेशियों की मौत और निवासियों के लिए गंभीर स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न हुए थे।

💰 पहले भी हुई थी नकदी जब्त

इस मामले में, ED ने पहले भी कार्रवाई की थी।

  • 16 जुलाई 2024 को छह स्थानों पर तलाशी ली गई थी।

  • इस दौरान, मैलब्रोस इंटरनेशनल और उसके निदेशकों के परिसरों से PMLA, 2002 की धारा 17 के तहत ₹78.15 लाख रुपये नकद जब्त किए गए थे।

₹79.93 करोड़ रुपये की यह कुर्की PMLA के तहत एक बड़ी कार्रवाई है, जो यह दर्शाती है कि पर्यावरण को नुकसान पहुँचाकर अवैध लाभ कमाने वाले उद्योगों के खिलाफ वित्तीय एजेंसियां सख्ती बरत रही हैं।

आगे की जाँच प्रगति पर है।


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