डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत और विदेशों में अपने उत्पादों की ब्रांडिंग, पैकेजिंग और विपणन के लिए बांस कौशल केंद्रों का आह्वान किया

डॉ. जितेंद्र सिंह ने पूर्वोत्तर विकास मंत्रालय की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की

केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय, पीएमओ राज्यमंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत और विदेशों में पूर्ण दोहन, ब्रांडिंग, पैकेजिंग और विपणन के लिए बांस क्षेत्र के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण और कौशल विकास केंद्रों की स्थापना करने के लिए केन और बांस प्रौद्योगिकी केंद्र (सीबीटीसी) से आग्रह किया है। उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए मंत्री ने आज कहा कि राष्ट्रीय बांस मिशन के साथ समन्वय में सीबीटीसी इस दिशा में पूर्वोत्तर क्षेत्र में बांस की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए काम करेगा। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि कौशल केंद्र बांस उद्योग को नए स्टार्ट-अप के साथ आगे बढ़ाएंगे और आजीविका के अवसरों को भी बढ़ाएंगे।

केंद्र सरकार के तैयार उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध लगाने और कच्चे बांस की वस्तुओं पर आयात शुल्क को 25 प्रतिशत बढ़ाने का स्वागत करते हुए मंत्री ने कहा कि इन उपायों से अगरबत्ती बनाने सहित घरेलू बांस उद्योगों को मदद मिलेगी।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि बांस क्षेत्र भारत में पारिस्थितिक, औषधीय, कागज और निर्माण क्षेत्रों का एक मुख्य स्तंभ हो सकता है। पूर्वोत्तर क्षेत्र में आवास परियोजनाओं में बड़े पैमाने पर बांस को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री द्वारा आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय को लिखे गए एक पत्र के बारे में भी उन्हें अवगत कराया गया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि बांस की 10 व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण प्रजातियों की पहचान की गई है और राज्य द्वारा इन नई प्रजातियों के रोपण को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया जाएगा। इसके अलावा, अगरबत्ती उद्योग में बड़े पैमाने पर उपयोग की जाने वाली मोजो बांस की खेती के लिए अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और मिजोरम को उपयुक्त पाया गया है। उन्होंने नॉर्थ इस्टर्न डेवेलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड यानी नेडफी को अन्य हितधारकों के साथ समन्वय में बांस को लेकर अध्ययन करने और जल्द से जल्द परियोजना की पहचान करने का निर्देश दिया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने दोहराया कि बांस सेक्टर भारत की कोविड के बाद अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण घटकों में से एक होगा और उत्तर पूर्वी क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत अभियान का एक महत्वपूर्ण स्तंभ होगा। इस क्षेत्र की अप्रत्याशित संभावनाओं को रेखांकित करते हुए और पिछले 70 वर्षों से उपेक्षित होने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार में क्षमता है और वह इस संभावना को आगे बढ़ाना चाहती है। क्योंकि देश में सभी बांस संसाधनों का 40 प्रतिशत पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्थित है।

मंत्री ने कहा कि जिस संवेदनशीलता के साथ मोदी सरकार बांस के संवर्धन के लिए महत्त्व रखती है, उससे स्पष्ट होता है कि इसने सदियों पुराने वन अधिनियम में संशोधन किया है, ताकि घर के बांस को वन अधिनियम के दायरे से बाहर रखा जा सके, बांस के माध्यम से आजीविका के अवसरों में वृद्धि की जा सके।

पूर्वोत्तर विकास मंत्रालय के सचिव डॉ. इंद्रजीत सिंह, विशेष सचिव श्री इंदिवर पांडे, एनईसी के सचिव श्री मोसेस के. चलाई, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव डॉ. अलका भार्गव और एमडी, सीबीटीसी श्री शैलेन्द्र चौधरी और विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बैठक में भाग लिया.

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