DGCA: 15 मिनट देरी पर जाँच अनिवार्य

✈️ यात्रियों के लिए राहत: उड़ानों में 15 मिनट की देरी पर तत्काल जाँच अनिवार्य; DGCA ने बदले डिफेक्ट रिपोर्टिंग के नियम

नई दिल्ली: हाल ही में इंडिगो (IndiGo) जैसी एयरलाइंस में आई तकनीकी ख़राबियों और लगातार उड़ानों में देरी (Flight Delays) की घटनाओं के बाद सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने भविष्य में ऐसी समस्याओं से निपटने और एयरलाइंस की जवाबदेही तय करने के लिए डिफेक्ट रिपोर्टिंग सिस्टम में तत्काल प्रभाव से बड़े बदलाव किए हैं।

नए नियमों का उद्देश्य उड़ानों के संचालन में पारदर्शिता लाना और यात्रियों के अधिकारों की रक्षा करना है।

⏱️ 15 मिनट की देरी पर अनिवार्य जाँच

DGCA द्वारा जारी 12 पेज के नए आदेश के अनुसार, अब विमानन सेक्टर में पहली बार यह प्रावधान लागू किया गया है:

  1. अनिवार्य जाँच: किसी भी निर्धारित उड़ान में तकनीकी ख़ामी के कारण 15 मिनट या उससे अधिक की देरी होने पर उसकी जाँच करना अब एयरलाइन के लिए अनिवार्य होगा।

  2. कारण और समाधान: एयरलाइन कंपनी को DGCA को यह बताना होगा कि देरी किस कारण हुई, उसको कैसे ठीक किया गया, और भविष्य में ऐसी गलती न हो इसके लिए क्या उपाय किए गए हैं।

ये प्रावधान पहले लागू नहीं थे, जिससे एयरलाइंस को लगातार देरी के मामलों में जवाबदेह ठहराना मुश्किल होता था।

⚠️ ‘मेजर डिफेक्ट’ की रिपोर्टिंग अब सख़्त

नए नियमों में ‘मेजर डिफेक्ट’ (Major Defect) की रिपोर्टिंग को भी सख़्त कर दिया गया है:

  • तत्काल सूचना: कंपनी को किसी भी प्रकार के ‘मेजर डिफेक्ट’ की जानकारी तुरंत फोन पर DGCA को देनी होगी।

  • 72 घंटों में विस्तृत रिपोर्ट: फ़ोन पर सूचना देने के साथ ही, उस ख़ामी और उसके निवारण पर विस्तृत रिपोर्ट 72 घंटों के भीतर DGCA को सौंपनी होगी।

🔄 डिफेक्ट दोहराए जाने पर विशेष जाँच

DGCA ने लापरवाही को रोकने के लिए एक विशेष नियम जोड़ा है:

  • रिपीटेटिव डिफेक्ट: यदि कोई ख़ामी तीन बार दोहराई जाती है, तो उसे ‘रिपीटेटिव डिफेक्ट’ माना जाएगा।

  • विशेष जाँच: ऐसे मामलों के लिए अलग से एक प्रकार की विशेष जाँच (Special Investigation) शुरू की जाएगी, ताकि उसकी जड़ तक पहुँचा जा सके।

माना जा रहा है कि यह सख्ती इसलिए की गई है, क्योंकि इससे पहले डिफेक्ट रिपोर्टिंग व्यवस्था काफी कमज़ोर थी और 15 मिनट की देरी की जाँच जैसा कोई अनिवार्य प्रावधान मौजूदा नियमों में नहीं था। सरकार का यह कदम विमानन सुरक्षा (Aviation Safety) और यात्री सुविधा सुनिश्चित करने की दिशा में एक अहम मोड़ साबित हो सकता है।


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