बीजेपी के विजयरथ को 2019 में रोकने को, सपा-बसपा में हुई ‘डील’

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के विजय रथ को रोकने की कोशिशें अब उत्तर प्रदेश से शुरू होती दिख रही है । 23 साल से एक-दूसरे को फूटी आंख न सुहाने वाली सपा और बसपा अपनी सारी दुश्मनी भुलाकर बीजेपी के खिलाफ एक साथ एक-दूसरे से हाथ मिला लिया है।

क्या हुई है ‘डील’

गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी उम्मीदवार को मात देने के लिए सपा उम्मीदवारों को बसपा समर्थन करेगी। इसके अलावा बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने साफ कहा है कि राज्यसभा चुनाव में बीएसपी को सपा समर्थन करेगी और इसके बदले पार्टी एसपी को विधान परिषद में मदद करेगी।

मायावती-अखिलेश में नहीं हुई बात

गौरतलब है कि सपा और बसपा के बीच समझौते की कोशिश 27 फरवरी से की जा रही थी। लेकिन 6 दिन की मशक्कत और दोनों ही दलों के नेताओं के बीच काफी लंबी बातचीत के बाद इसका ऐलान किया गया ।हालांकि सूत्रों की मानें तो सिर्फ सपा के महासचिव रामगोपाल यादव और बसपा के महासचिव सतीष चंद्र मिश्रा के बीच ही बातचीत हुई है। जिसके बाद मायावती और अखिलेश यादव ने सिर्फ हरी झंडी दी। हरी झंडी मिलने के बाद ऐलान किया गया। खबरों के मुताबिक इस डील के बारे में मायावती और अखिलेश यादव के बीच किसी तरह की कोई बातचीत नहीं हुई ।

राज्यसभा का राजनीतिक समीकरण

विपक्ष को राज्यसभा में मजबूती देने के लिए कम से कम 37 वोटों की जरूरत होगी। जबकि बीजेपी आसानी से अपने 8 उम्मीदवार को जिताने की ताकत रखती है। सपा के पास 47 विधायक हैं और मायावती के 19 विधायकों के साथ मिलाकर 66 संख्या तक पहुंचती है. 7 विधायक कांग्रेस के पास भी हैं, जिन्हें मिलाकर विपक्ष के पास 73 वोट हो रहे हैं । ऐसे में सपा एक सीट आसानी से जीत जाएगी और पूरा विपक्ष मिलकर दूसरे के लिए जोर आजमाइश करेगा।

विपक्ष को चाहिए कितने वोट

विपक्ष को दूसरे संयुक्त उम्मीदवार के लिए तीन-चार विधायकों की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में 10वीं सीट के लिए लड़ाई तय मानी जा रही है. क्योंकि निर्दलीयों के समर्थन सहित अपने 8 राज्यसभा सदस्य जिताने के बाद भी बीजेपी के पास करीब 32 वोट दूसरी सीट के लिए बचेंगे। विपक्ष के पास भी करीब इतने ही वोट होंगे. ऐसे में दूसरी सीट के लिए दिलचस्प मुकाबला होगा।

मायावती ने राज्यसभा से दिया था इस्तीफा

आपको बता दें कि पिछले साल जुलाई में मायावती ने सहारनपुर मामले की वजह से राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. हालांकि, उनका कार्यकाल इस साल अप्रैल मे ही खत्म हो रहा है। ऐसे में यूपी की 10 राज्यसभा की सीटों पर 23 मार्च को चुनाव होने वाले हैं, जिसमें मायावती की सीट भी शामिल है। विपक्षी दलों में सपा को छोड़कर बाकी कोई दल अपने बूते किसी को राज्यसभा भेजने की हैसियत में नहीं रखता है ।

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