असम में बाढ़ और भू-क्षरण में कमी लाने के लिए भारत सरकार और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के बीच

भारत सरकार और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने असम में नदी तट संरक्षण कार्यों, बाढ़ तटबंधों की मरम्मत और ब्रह्मपुत्र नदी से सटे बाढ़ की आशंका वाले क्षेत्रों में समुदाय आधारित बाढ़ जोखिम प्रबंधन गतिविधियों के लिए धनराशि उपलब्ध कराना जारी रखने के लिए आज नई दिल्ली में 60 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए।

ऋण की दूसरी किस्त असम एकीकृत बाढ़ एवं नदी तट भू-क्षरण जोखिम प्रबंधन निवेश कार्यक्रम के लिए एडीबी बोर्ड द्वारा अक्टूबर, 2010 में स्वीकृत 120 मिलियन डॉलर कई किस्तों में प्रदान की जाने वाली वित्तीय सुविधा (एमएफएफ) का भाग है।

इस ऋण समझौते पर भारत सरकार की ओर से अपर सचिव (फंड बैंक और एडीबी) आर्थिक मामलों का विभाग, वित्त मंत्रालय, श्री समीर कुमार खरे तथा एडीबी की ओर से एडीबी के इंडिया रेजिडेंट मिशन के कंट्री निदेशक श्री केनिशी योकोयामा ने हस्ताक्षर किए।

ऋण समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद श्री खरे ने कहा कि इस कार्यक्रम का लक्ष्य असम के बाढ़ की आशंका वाले क्षेत्रों में बाढ़ एवं नदी तट भू-क्षरण जोखिम प्रबंधन प्रणालियों की विश्वसनीयता और दक्षता बढ़ाना, आपदा से निपटने की समुदायों की तैयारियों को सशक्त बनाना तथा बाढ़ के पूर्वानुमान के लिए संस्थागत क्षमता का विकास करना और ज्ञान का आधार तैयार करना है।

इस अवसर पर श्री योकोयामा ने कहा कि कार्यक्रम के अंतर्गत परियोजना-2 के तहत ब्रह्मपुत्र नदी से सटे पलासबारी-गुमी, काजीरंगा और डिब्रुगढ़ के तीन उप-परियोजना क्षेत्रों में संरचनात्मक और गैर-संरचनात्मक उपायों के लिए धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी, जिनमें नदी तट के 20 किलोमीटर क्षेत्र में संरक्षण कार्य और बाढ़ तटबंधों के 13 किलोमीटर क्षेत्र में होने वाले कार्य शामिल हैं।

गैर-संरचनात्मक उपायों के अंतर्गत स्थानीय स्तर पर आपदा से निपटने की तैयारियों और आपातस्थिति में उठाए जाने वाले कदमों को सुदृढ़ बनाने के लिए आपदा प्रबंधन समितियों की स्थापना के माध्यम से समुदाय को साथ जोड़ने और समुदाय आधारित बाढ़ जोखिम प्रबंधन गतिविधियों को कवर किया जाएगा।  इस ऋण की अवधि 20 वर्ष होगी, जिसमें 5 वर्ष की रियायत अवधि शामिल होगी। 

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