बरेली। रिश्वतखोरी के दलदल में फंसे दरोगा दीपचंद की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रहीं।
अब भ्रष्टाचार निरोधक संगठन (एंटी करप्शन) ने उसकी संपत्तियों की जांच शुरू करने की तैयारी कर ली है। शासन से इसके लिए हरी झंडी मिल चुकी है। टीम न सिर्फ बरेली बल्कि अलीगढ़ के टप्पल इलाके तक जाकर जांच करेगी, जहां दरोगा का पैतृक घर और संभावित संपत्तियां बताई जा रही हैं।
दरअसल, इसी साल 6 जनवरी की शाम बहेड़ी थाने की भुड़िया चौकी में तैनात दरोगा दीपचंद को एंटी करप्शन टीम ने 50 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया था।
उस समय उसने चौकी परिसर में ही शिकायतकर्ता से केमिकल लगे नोट लेकर अपनी मेज की दराज में रखे थे। जैसे ही टीम ने दबिश दी, वही नोट बरामद हुए और हाथ धुलवाने पर रंग गुलाबी हो गया जो रिश्वत लेने का पुख्ता सबूत था।
इस पूरे ऑपरेशन की अगुवाई ट्रैप टीम प्रभारी इंस्पेक्टर जितेंद्र कुमार ने की थी। एंटी करप्शन के इंस्पेक्टर इश्तियाक वारसी ने मामले की विवेचना पूरी कर दो महीने के भीतर ही चार्जशीट दाखिल कर दी थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार भी कर लिया है।
अब जांच का नया फेज शुरू होने जा रहा है “संपत्ति जांच।” सूत्रों के मुताबिक, टीम दरोगा दीपचंद और उसके परिवार के सदस्यों की पूर्व व वर्तमान आर्थिक स्थिति, खरीदी-बेची गई संपत्तियों, बैंक खातों, और अन्य आय के स्रोतों की पड़ताल करेगी। यदि आय से अधिक संपत्ति पाई जाती है तो दीपचंद के खिलाफ अलग से भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत नई कार्रवाई दर्ज की जाएगी।
एंटी करप्शन थाना प्रभारी प्रवीण सान्याल ने पुष्टि की है कि संपत्ति जांच के लिए अधिकारी का नाम जल्द तय किया जाएगा। उनका कहना है कि शासन स्तर से स्पष्ट निर्देश हैं कि आरोपी के पूरे आर्थिक नेटवर्क की परतें खोली जाएं, ताकि भ्रष्टाचार की जड़ तक पहुंचा जा सके।
क्या था मामला
बरेली के पिपलिया निवासी जीशान ने शिकायत की थी कि उसके चाचा और भाई पर दर्ज मारपीट के केस को निपटाने के लिए दरोगा दीपचंद 50 हजार रुपये की रिश्वत मांग रहा है। शिकायत की सत्यता की जांच के बाद एंटी करप्शन टीम ने जीशान को केमिकल लगे नोट देकर भेजा। दीपचंद ने वही नोट अपनी मेज में रखे, और ठीक उसी समय टीम ने दबिश देकर उसे रंगे हाथ पकड़ लिया।
अब यह मामला सिर्फ घूसखोरी तक सीमित नहीं है, बल्कि आय से अधिक संपत्ति की जांच से यह एक बड़ा भ्रष्टाचार का मामला बन सकता है। एंटी करप्शन विभाग के सूत्रों का कहना है कि दीपचंद की अलीगढ़ व बरेली दोनों जगहों पर कई अचल संपत्तियां और निवेश होने की जानकारी मिली है, जिनकी अब बारीकी से छानबीन होगी।
भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार का बड़ा संदेश
इस कार्रवाई को सरकार की “जीरो टॉलरेंस” नीति के तहत देखा जा रहा है। बरेली में हाल के महीनों में कई सरकारी विभागों में रिश्वतखोरी के मामलों के खुलासे हुए हैं, और अब एंटी करप्शन विभाग के अधिकारी साफ कह रहे हैं — “जो भी अधिकारी या कर्मचारी जनता से वसूली करेगा, उसके खिलाफ सिर्फ मुकदमा नहीं, बल्कि पूरी आर्थिक जांच होगी।”
दरोगा दीपचंद की गिरफ्तारी से पुलिस महकमे में हड़कंप मचा था, और अब संपत्ति जांच शुरू होते ही कई और खुलासों की उम्मीद है। यह मामला बरेली ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए एक नजीर बन सकता है कि रिश्वत लेकर जनता को लूटने वाले अब कानून की गिरफ्त से नहीं बच सकते।
बरेली से रोहिताश कुमार की रिपोर्ट
