बरेली-उत्तर प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए बड़े-बड़े दावे करती रही है, लेकिन बरेली जिले की ताज़ा स्थिति उन दावों की पोल खोल रही है।
बरेली-उत्तर प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए बड़े-बड़े दावे करती रही है, लेकिन बरेली जिले की ताज़ा स्थिति उन दावों की पोल खोल रही है। जुलाई माह की स्वास्थ्य डैशबोर्ड रैंकिंग में बरेली प्रदेश के 75 जिलों में सबसे नीचे जा पहुंचा है। यह नतीजा केवल विभाग की लापरवाही नहीं दिखाता, बल्कि लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ की गंभीर तस्वीर भी सामने लाता है।
संस्थागत प्रसव और टीकाकरण में शर्मनाक स्थिति
गुरुवार को जारी रिपोर्ट में स्पष्ट हुआ कि बरेली जिले के अधिकांश ब्लॉक बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं में बुरी तरह पिछड़ गए हैं। नवाबगंज, भदपुरा, भोजीपुरा, मझगवां और बहेड़ी ब्लॉकों की हालत बेहद खराब बताई गई है। यहां न तो संस्थागत प्रसव का स्तर संतोषजनक है और न ही बच्चों के टीकाकरण की गति सुधर पा रही है।
यही नहीं, आशा कार्यकर्ताओं के भुगतान में देरी, योजनाओं के लाभार्थियों तक राहत पहुंचाने में लापरवाही और स्वास्थ्य ढांचे की कमजोरियों की लंबी फेहरिस्त इस रिपोर्ट में दर्ज है।
सीएमओ का सख्त रुख: लापरवाही पर होगी कार्रवाई
रिपोर्ट सामने आने के बाद मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. विश्राम सिंह ने नाराजगी जताते हुए कहा कि अब किसी भी स्तर पर लापरवाही सहन नहीं की जाएगी। उन्होंने साफ किया है कि असंतोषजनक प्रदर्शन करने वाले ब्लॉकों को तत्काल सुधारने का निर्देश दिया गया है।
सीएमओ ने यहां तक चेतावनी दी है कि यदि दोबारा गड़बड़ी मिली तो संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।
कुछ क्षेत्रों में उपलब्धि, लेकिन समग्र रैंकिंग रसातल में
हालांकि जिले ने टीबी नियंत्रण कार्यक्रम (क्षय रोग) और एएनसी (प्रसव पूर्व सुरक्षा जांच) में प्रदेश स्तर पर पहला स्थान हासिल किया है, लेकिन अन्य कार्यक्रमों में बुरी तरह पिछड़ने से बरेली की समग्र रैंकिंग सबसे नीचे पहुंच गई है।
यानी, दो-तीन उपलब्धियां भी जिले की गिरती साख को बचाने में नाकाम साबित हुई हैं।
जनता कि सेहत पर मंडरा रहा है अब खतरा
बरेली जैसे बड़े जिले और मेडिकल कॉलेज की मौजूदगी के बावजूद इतनी बदतर रैंकिंग ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अगर स्वास्थ्य सेवाओं की यह हालत जारी रही तो गर्भवती महिलाओं, नवजात बच्चों और ग्रामीण इलाकों में रहने वाले हजारों परिवारों को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।
यह नतीजा सिर्फ प्रशासन की विफलता नहीं, बल्कि आम जनता की सेहत और जिंदगी से खिलवाड़ है सीधा सीधा देखा जाये तो ।
बड़े सवाल खड़े होना लाजमी जब मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल मौजूद हैं, तो बरेली स्वास्थ्य सेवाओं में पीछे क्यों?
(ग्रामीण) स्वास्थ्य केंद्रों में संसाधन और सुविधाएं न मिलने की जिम्मेदारी कौन लेगा?
आशा कार्यकर्ताओं और योजनाओं के लाभार्थियों को समय पर लाभ क्यों नहीं मिल पा रहा?
ये सवाल अब सीधे स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन पर खड़े हो गए हैं।
चेतावनी साफ: सुधारो या फिर भुगतो
ताज़ा रैंकिंग ने दिखा दिया है कि बरेली स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में पूरी तरह नाकाम हो चुका है। सीएमओ की सख्त चेतावनी के बावजूद अगर हालात नहीं सुधरे, तो आने वाले दिनों में जिला प्रशासन को जनता की नाराजगी और अव्यवस्था दोनों का सामना करना पड़ेगा।
बरेली से रोहिताश कुमार की रिपोर्ट
