बरेली। जिले में गरीबों के हिस्से के अनाज पर एक बार फिर भ्रष्टाचार का साया मंडराने लगा है।
बरेली। जिले में गरीबों के हिस्से के अनाज पर एक बार फिर भ्रष्टाचार का साया मंडराने लगा है। सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों पर कोटेदारों द्वारा गरीब राशन कार्डधारकों से जबरन घटिया गुणवत्ता वाले साबुन और वाशिंग पाउडर खरीदवाने की शिकायतें सामने आई हैं।
कार्डधारकों का आरोप है कि यदि वे यह सामान खरीदने से इनकार करते हैं तो उन्हें पूरा राशन नहीं दिया जाता, बल्कि 6 से 7 किलो तक राशन काट लिया जाता है।
यह गंभीर मामला डॉ. भीमराव अंबेडकर जनकल्याण समाज सेवा समिति ने उजागर किया है। समिति ने शुक्रवार को जिलाधिकारी बरेली को एक लिखित शिकायत सौंपकर इस धांधली की जांच की मांग की है।
समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि जिले के कई क्षेत्रों में कोटेदार उपभोक्ताओं को दबाव में लेकर 60 से 100 रुपये तक के घटिया साबुन और वाशिंग पाउडर खरीदने पर मजबूर कर रहे हैं। जो गरीब उपभोक्ता यह अतिरिक्त सामान खरीदने से मना करते हैं, उन्हें पूरा राशन नहीं दिया जाता।
गरीबों की जेब पर दोहरी चोट
समिति के सदस्यों का कहना है कि पहले ही कई कोटेदार अनाज की आपूर्ति में गड़बड़ी कर रहे हैं और अब उन्होंने इस जबरन बिक्री के जरिए गरीबों की जेब पर दोहरी चोट करना शुरू कर दिया है। गरीब कार्डधारकों के पास इतने पैसे नहीं होते कि वे यह अनावश्यक सामान खरीद सकें, ऐसे में उन्हें या तो कम राशन लेकर घर लौटना पड़ता है या खाली हाथ वापस जाना पड़ता है।
“गरीबों के हक पर डाका”
समिति ने इसे “गरीबों के हक पर डाका” और “भ्रष्टाचार का नया तरीका” करार दिया है। समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि कोटेदारों की यह मनमानी न सिर्फ नियमों का उल्लंघन है बल्कि यह गरीब जनता के साथ सरासर अन्याय भी है।
प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग
समिति ने जिलाधिकारी से मांग की है कि इस पूरे मामले की गंभीरता से जांच कर दोषी कोटेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी उपभोक्ता को राशन पाने के बदले जबरन कोई सामान न खरीदना पड़े।
शिकायत देने वालों में फुरकान शाकिब, मजहर खान, मुस्तकीम, आजम, आरिश, अफसर और मोहम्मद इमरान सहित कई सामाजिक कार्यकर्ता शामिल थे।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं की गई तो समिति जिला मुख्यालय पर धरना-प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होगी।
जनता में रोष, जिम्मेदारों पर उठे सवाल
इस खुलासे के बाद बरेली में जनता के बीच भारी रोष है। लोगों का कहना है कि सरकार गरीबों के कल्याण के लिए योजनाएं चला रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर कोटेदार अपनी मनमानी से उन योजनाओं को पलीता लगा रहे हैं।
अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस शिकायत को कितनी गंभीरता से लेता है और क्या बरेली के इन दबंग कोटेदारों पर कठोर कार्रवाई होती है या यह मामला भी अन्य शिकायतों की तरह फाइलों में दबकर रह जाएगा।
बरेली से रोहिताश कुमार की रिपोर्ट
