बरेली। मुरादाबाद के एक मदरसे में 13 वर्षीय छात्रा से कथित रूप से कौमार्य प्रमाणपत्र (Virginity Certificate) मांगने के मामले ने पूरे प्रदेश में धार्मिक और सामाजिक हलकों को झकझोर दिया है।
बरेली। मुरादाबाद के एक मदरसे में 13 वर्षीय छात्रा से कथित रूप से कौमार्य प्रमाणपत्र (Virginity Certificate) मांगने के मामले ने पूरे प्रदेश में धार्मिक और सामाजिक हलकों को झकझोर दिया है।
इस प्रकरण पर बरेली के बरेलवी उलमा, सामाजिक कार्यकर्ताओं और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस कृत्य को “घिनौनी, निंदनीय और इस्लामिक शिक्षाओं के खिलाफ” बताया है।
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने कहा कि मुरादाबाद के मदरसे में छात्रा से इस तरह का प्रमाणपत्र मांगना न केवल शर्मनाक है, बल्कि पूरे मदरसा तंत्र को कटघरे में खड़ा करता है।
उन्होंने कहा, “मदरसों पर पहले ही कट्टरपंथ और संकीर्ण सोच के आरोप लगते हैं। ऐसे में यह घटना पूरी संस्था की साख पर बट्टा लगाने वाली है। जो लोग इस तरह की हरकतें करते हैं, वे इस्लाम की छवि को खराब कर रहे हैं।”
राहे सुलूक के अध्यक्ष मौलाना मुजाहिद हुसैन निजामी ने भी नाराजगी जताते हुए कहा कि इस घटना ने पूरी मदरसा बिरादरी को शर्मिंदा कर दिया है। उन्होंने कहा, “मदरसे में शिक्षक का यह आचरण न केवल गैरकानूनी है, बल्कि अमानवीय भी है।
मदरसा संचालकों को नियुक्ति से पहले शिक्षकों के विचार और दृष्टिकोण की गहन जांच करनी चाहिए। यह समय है जब मदरसों में बड़े पैमाने पर सुधार की आवश्यकता है।”
जमात रज़ा-ए-मुस्तफा के महासचिव फरमान हसन खान ने कहा कि कौमार्य प्रमाणपत्र मांगना महिलाओं की गरिमा का अपमान है। उन्होंने कहा, “मदरसों में इस तरह की हरकतें सरकार के नारी सशक्तिकरण के प्रयासों को कमजोर करती हैं। मदरसे सिर्फ धार्मिक शिक्षा के केंद्र नहीं, बल्कि सामाजिक और नैतिक मूल्यों के विकास के केंद्र भी हैं। ऐसी हरकतें न शिक्षा के स्तर को सुधारेंगी, न समाज में कोई सकारात्मक संदेश देंगी।”
इस मुद्दे पर महिला अधिकार कार्यकर्ता और आला हजरत हेल्पिंग सोसाइटी की अध्यक्ष निदा खान ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “ऐसे मौलाना अपनी मानसिकता का प्रदर्शन करते हैं और यह दिखाते हैं कि वे महिलाओं को किस नजर से देखते हैं। ये लोग समाज के लिए खतरनाक हैं, क्योंकि यही हमारे समाज में महिलाओं की सुरक्षा के सबसे बड़े दुश्मन हैं।”
निदा खान ने आगे कहा, “आज जब लड़कियां अंतरिक्ष में परचम लहरा रही हैं, डॉक्टर, इंजीनियर, आईपीएस और वैज्ञानिक बन रही हैं, वहीं कुछ लोग अब भी उन्हें गुलाम समझते हैं। ऐसे लोग न सिर्फ महिलाओं की गरिमा का अपमान करते हैं बल्कि समाज में जहरीली सोच फैला रहे हैं। इनकी वजह से हमारी बहन-बेटियां खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं।”
बरेलवी उलमा ने सामूहिक रूप से मांग की है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में कोई भी धार्मिक संस्था इस तरह की घटिया हरकत करने की हिम्मत न कर सके। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को मदरसों में शिक्षा व्यवस्था और शिक्षक चयन प्रक्रिया की निगरानी के लिए एक मजबूत प्रणाली बनानी चाहिए।
मुरादाबाद का यह मामला अब धार्मिक, सामाजिक और प्रशासनिक हलकों में गहराई से गूंज रहा है, और हर वर्ग यह सवाल उठा रहा है. “क्या अब मासूम छात्राओं को शिक्षा से पहले अपने सम्मान का सबूत देना होगा?”
बरेली से रोहिताश कुमार की रिपोर्ट
