4 श्रम संहिताएं लागू: श्रमिकों को सुरक्षा!
🇮🇳 ‘श्रमेव जयते’ से ‘विकसित भारत’ की ओर: लागू हुईं 4 नई श्रम संहिताएं, श्रमिकों को मिला सम्मान और सुरक्षा
नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया के अनुसार, भारत की नई श्रम संहिताएं देश के आत्मनिर्भर और विकसित भारत बनने की राह में एक बड़ा पड़ाव हैं। 21 नवंबर से लागू हुईं ये चार संहिताएं न केवल श्रमिकों की गरिमा बनाए रखती हैं, बल्कि औद्योगिक विकास को भी प्रोत्साहित करती हैं, जिससे श्रमिकों के अधिकारों और सम्मान की रक्षा वाला एक समावेशी मॉडल तैयार होता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ के विजन से प्रेरित ये श्रम सुधार एक आधुनिक, लचीली और समावेशी अर्थव्यवस्था की नींव रखते हुए श्रमिकों और उद्यमों दोनों को भारत के विकास के केंद्र में रखते हैं।
💡 ‘श्रमेव जयते’: पुरानी औपनिवेशिक सोच को चुनौती
डॉ. मांडविया ने रेखांकित किया कि दशकों तक भारत कमजोर आर्थिक विकास और भ्रष्टाचार से जूझता रहा, जहां रोजगार सृजन और श्रमिक कल्याण की प्रतिबद्धता का अभाव था। इस जड़ता को तोड़ने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले से ‘श्रमेव जयते’ का आह्वान किया, जिसने भारत की विकास यात्रा के केंद्र में श्रम की गरिमा को स्थापित किया।
भारत के अधिकांश श्रम कानून 1920 से 1950 के बीच बने थे, जिनमें औपनिवेशिक सोच की झलक थी। ये कानून गिग और प्लेटफॉर्म आर्थिकी, डिजिटल कामकाज और लचीली कार्य संरचनाओं जैसी आधुनिक कार्यबल की जरूरतों को पूरा करने में विफल थे। प्रधानमंत्री मोदी के पंच प्रण से प्रेरित होकर, सरकार ने औपनिवेशिक मानसिकता को छोड़कर भविष्य की जरूरतों के अनुसार आगे बढ़ने का साहस दिखाया।
“पुराने कानून इसलिए नहीं बने रहे, क्योंकि वे अच्छे थे। वे इसलिए बने रहे, क्योंकि पिछली सरकारों में उन्हें बदलने का राजनीतिक साहस, इच्छा शक्ति और दूरदृष्टि की कमी थी।” – डॉ. मनसुख मांडविया
⚙️ 29 पुराने कानूनों को मिलाकर 4 नई संहिताएं
राष्ट्रीय आवश्यकता को समझते हुए, मोदी सरकार ने 29 बिखरे हुए श्रम कानूनों को मिलाकर चार सरल और स्पष्ट श्रम संहिताएं बनाई हैं:
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वेतन संहिता (Code on Wages)
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औद्योगिक संबंध संहिता (Industrial Relations Code)
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सामाजिक सुरक्षा संहिता (Social Security Code)
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व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्यदशा संहिता (OSH Code)
ये संहिताएं एक आधुनिक श्रम ढांचा स्थापित करती हैं, जो श्रमिक-हितैषी और विकास समर्थक हैं। यह सुधार जटिल और छितरे हुए पुराने तंत्र को एक सरल, पारदर्शी और हर श्रमिक की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले सिस्टम से बदलता है।
🛡️ श्रमिकों के हितों की प्राथमिकता और सुरक्षा
नई श्रम संहिताएं नियोक्ताओं की अपेक्षाओं को संतुलित करते हुए श्रमिकों के हितों को प्राथमिकता देती हैं:
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गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिक: इन्हें औपचारिक मान्यता और सामाजिक सुरक्षा का विस्तार।
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स्वास्थ्य सुरक्षा: 40 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी श्रमिकों के लिए वार्षिक स्वास्थ्य जांच अनिवार्य।
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वेतन की गारंटी: सभी श्रमिकों के लिए वैधानिक न्यूनतम वेतन की गारंटी।
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बुनियादी अधिकार: अनिवार्य नियुक्ति पत्र, पे स्लिप, और सवेतन वार्षिक अवकाश।
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ओवरटाइम भुगतान: मानक घंटों से अधिक काम करने पर नार्मल सैलरी रेट से दोगुना भुगतान।
💼 फिक्स्ड टर्म एंप्लायमेंट (FTE) और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस
संहिताओं में कांट्रैक्ट आधारित रोजगार के विकल्प के रूप में फिक्स्ड टर्म एंप्लायमेंट (एफटीई) की शुरुआत की गई है।
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समान अधिकार: FTE श्रमिकों को स्थायी कर्मचारियों के समान ही वेतन, लाभ और काम करने की स्थितियां मिलेंगी।
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ग्रेच्युटी: FTE कर्मचारी केवल एक वर्ष की निरंतर सेवा के बाद ही ग्रेच्युटी के लिए पात्र होंगे।
इसके अतिरिक्त, सिंगल रजिस्ट्रेशन, सिंगल लाइसेंस और सिंगल रिटर्न फाइलिंग की शुरुआत करके नियोक्ताओं पर अनुपालन का बोझ काफी कम किया गया है। यह ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देगा, जिससे स्थानीय रोजगार को प्रोत्साहन मिलेगा।
👩🏭 नारी शक्ति: महिलाओं के नेतृत्व वाला विकास
प्रधानमंत्री मोदी के महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के दृष्टिकोण को साधते हुए, ये संहिताएं नारी शक्ति को केंद्र में रखती हैं।
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महिलाओं के लिए अंडरग्राउंड खदानों, भारी मशीनरी और नाइट शिफ्ट में काम करने के रास्ते खुलते हैं।
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यह उनकी सहमति और मजबूत सुरक्षा प्रोटोकाल लागू होने की शर्त पर संभव होगा, जिससे महिला श्रमिकों के लिए नए अवसरों का सृजन होगा।
ये श्रम सुधार विकसित भारत के निर्माण के लिए एक मजबूत नींव प्रदान करते हैं, जहां श्रमिकों की गरिमा और उद्योगों का विकास साथ-साथ चलता है।
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