राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ में बाल स्वास्थ्य पर 30वीं राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन

आयुर्वेद की बाल-देखभाल प्रणाली कौमारभृत्य से स्वस्थ बालक, स्वस्थ भारत का निर्माण हो सकता है: केंद्रीय मंत्री श्री प्रतापराव जाधव

संगोष्ठी में निवारक, प्रोत्साहनकारी और समग्र बाल स्वास्थ्य देखभाल में आयुर्वेद की भूमिका पर बल दिया गया

विशेषज्ञों ने भावी पीढ़ियों के निर्माण के लिए आधुनिक स्वास्थ्य प्रणालियों के साथ कौमारभृत्य प्रणाली को समायोजित करने का आह्वान किया

आयुष मंत्रालय के अंतर्गत स्वायत्त संस्थान राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ (आरएवी) ने आज नई दिल्ली के लोधी रोड स्थित स्कोप कॉम्प्लेक्स ऑडिटोरियम में “आयुर्वेद के माध्यम से बाल चिकित्सा में रोग एवं कल्याण प्रबंधन” विषय पर अपने 30वें राष्ट्रीय सेमिनार का सफलतापूर्वक समापन किया।

18-19 अगस्त 2025 तक आयोजित इस दो दिवसीय संगोष्ठी में देश भर के प्रख्यात आयुर्वेद विद्वानों, शोधकर्ताओं, चिकित्सकों और छात्रों सहित 500 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। संगोष्‍ठी के दौरान हुए विचार-विमर्श में बच्चों में रोग प्रबंधन और स्वास्थ्य संवर्धन पर विशेष ध्‍यान दिया गया, जिससे बाल स्वास्थ्य के प्रति आयुर्वेद के समग्र दृष्टिकोण की पुष्टि हुई।

केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री प्रतापराव जाधव ने एक लिखित संदेश के माध्यम से अपने समापन संबोधन में कहा कि इस संगोष्ठी के परिणाम भारत के बाल चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा ढांचे को सुदृढ़ करेंगे।

उन्होंने कहा कि आयुर्वेद की कौमारभृत्य शाखा में निवारक, प्रोत्साहनात्मक और उपचारात्मक दृष्टिकोणों के समन्‍वय के साथ बाल स्वास्थ्य सेवा में परिवर्तन लाने की क्षमता है। पिछले दो दिनों में साझा किया गया सामूहिक ज्ञान, स्वस्थ बालक, स्वस्थ भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नए शोध सहयोगों और व्यावहारिक मॉडलों को प्रेरित करेगा।

आयुष मंत्रालय के सचिव  वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि इस संगोष्ठी ने बाल चिकित्सा आयुर्वेद में शैक्षिक आदान-प्रदान के लिए एक मानक स्थापित किया है। उन्होंने साक्ष्य-आधारित सत्यापन के महत्व पर बल देते हुए आयुर्वेदिक सिद्धांतों को आधुनिक स्वास्थ्य सेवा पद्धतियों के साथ समायोजित करने के लिए सहयोगात्मक अध्ययनों की आवश्यकता दर्शाई।

वैद्य देवेंद्र त्रिगुणा ने योग और आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए बाल चिकित्सा कल्याण पर ध्यान केंद्रित करने के लिए आरएवी और एआईआईए की भी प्रशंसा की।

आरएवी की निदेशक डॉ. वंदना सिरोहा ने अपने समापन संबोधन में कहा कि संगोष्ठी की सफलता आयुर्वेद चिकित्सकों और शोधकर्ताओं की अगली पीढ़ी को पोषित करने के लिए आरएवी की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि शोधपत्र और पोस्टर प्रस्तुतियों में युवा विद्वानों की सक्रिय भागीदारी ने बाल चिकित्सा आयुर्वेद के उज्ज्वल भविष्य को प्रदर्शित किया है।

इस दो दिवसीय कार्यक्रम में निम्नलिखित शामिल थे:

आयुर्वेद में बाल स्वास्थ्य पर 20 वैज्ञानिक शोध पत्र प्रस्तुतियां

युवा विद्वानों द्वारा नवीन अध्ययनों को प्रदर्शित करने वाले पोस्टर सत्र

बच्चों में निवारक और प्रोत्साहनकारी स्वास्थ्य सेवा पर पैनल चर्चा

स्मारिका का विमोचन और सेमिनार किट एवं भागीदारी प्रमाणपत्र का वितरण

संगोष्ठी का समापन इस आम सहमति के साथ हुआ कि आयुर्वेद की समग्र बाल चिकित्सा पद्धतियों विशेष रूप से जीवनशैली संबंधी विकारों, पोषण संबंधी कमियों और बच्चों में उभरती स्वास्थ्य चुनौतियों के समाधान के लिए इन्‍हें भारत की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के पूरक के रूप में मुख्यधारा में लाया जाना चाहिए।

इस आयोजन ने समग्र बाल स्वास्थ्य देखभाल की आधारशिला के रूप में आयुर्वेद की प्रासंगिकता को सफलतापूर्वक सुदृढ़ किया तथा राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर ज्ञान-साझाकरण मंचों पर ऐसी पहलों को जारी रखने का आह्वान किया।

ब्यूरो चीफ, रिजुल अग्रवाल

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