ED:- मिलावटी सिरप: ₹2.04 Cr संपत्ति कुर्क

💊 जहरीले कफ सिरप मामले में ED की बड़ी कार्रवाई; ‘श्रीसन फार्मा’ के मालिक की ₹2.04 करोड़ की संपत्ति कुर्क

डायरेक्टरेट ऑफ एनफोर्समेंट (ED), चेन्नई ज़ोनल ऑफिस ने एक गंभीर मामले में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA), 2002 के तहत बड़ी कार्रवाई की है। ED ने मेसर्स श्रीसन फार्मास्यूटिकल मैन्युफैक्चरर (M/s Sresan Pharmaceutical Manufacturer) के प्रोपराइटर जी. रंगनाथन से संबंधित ₹2.04 करोड़ (लगभग) की अचल संपत्तियों को अस्थाई रूप से कुर्क किया है।

यह कुर्की 02/12/2025 को की गई। कुर्क की गई संपत्तियों में जी. रंगनाथन और उनके परिवार के सदस्यों के स्वामित्व वाले चेन्नई के कोडंबक्कम स्थित दो आवासीय फ्लैट शामिल हैं।


tragically 20 से अधिक बच्चों की मौत और फार्मा कंपनी का घोटाला

ED ने PMLA के तहत यह जांच दो FIRs के आधार पर शुरू की थी, जिसमें से एक एफआईआर ने पूरे देश को झकझोर दिया था:

1. जहरीले कफ सिरप का निर्माण:

मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा जी. रंगनाथन के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS, 2023) की धारा 105 (जो पूर्व में IPC की धारा 304 थी) के तहत FIR दर्ज की गई थी।

  • आरोप: आरोप है कि M/s श्रीसन फार्मास्यूटिकल द्वारा निर्मित ‘कोल्ड्रिफ कफ सिरप’ के सेवन से 20 से अधिक बच्चों की मौत हुई। बच्चों में इस सिरप के सेवन के बाद गुर्दे की गंभीर विफलता (acute renal failure) के कई मामले सामने आए थे।

  • लैब रिपोर्ट: प्रयोगशाला जांच में सिरप में अत्यधिक जहरीले ग्लाइकोल यौगिकों की उपस्थिति की पुष्टि हुई। इसमें डाइएथिलीन ग्लाइकोल (Diethylene Glycol – DEG) 48.6% w/v और एथिलीन ग्लाइकोल (Ethylene Glycol – EG) 46.28% w/v पाया गया, जो सुरक्षित सीमा से कहीं अधिक है।

  • लापरवाही: श्रीसन फार्मास्यूटिकल द्वारा अपनाई गई लापरवाह और मिलावटी निर्माण प्रथाओं (adulterated manufacturing practices) के कारण कफ सिरप जहरीला हो गया था।

2. ड्रग कंट्रोल विभाग में भ्रष्टाचार:

दूसरी FIR चेन्नई एसीबी द्वारा ड्रग्स कंट्रोल विभाग के डायरेक्टर (प्रभारी) और जॉइंट डायरेक्टर, पी.यू. कार्तिगेयन के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ करप्शन (Amendment) एक्ट, 2018 की धारा 7 के तहत भ्रष्टाचार के आरोपों पर दर्ज की गई थी।


💰 मनी लॉन्ड्रिंग और बेईमानी का तरीका

ED की जांच में खुलासा हुआ कि M/s श्रीसन फार्मास्यूटिकल मैन्युफैक्चरर ने अपनी निर्माण लागत को कम करने और मुनाफे को बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर अनुचित व्यापार प्रथाओं (unfair trade practices) का सहारा लिया, जो कि प्रोसीड्स ऑफ क्राइम (POC) थे।

  • नकली सामग्री: निर्माता ने फार्मा ग्रेड कच्चे माल (Pharma grade raw materials) के बजाय दवाओं के निर्माण में उद्योग ग्रेड कच्चे माल (industry grade raw materials) का इस्तेमाल किया, जिसमें उचित गुणवत्ता जांच (quality checks) नहीं की गई।

  • नकद लेनदेन: ऐसे कच्चे माल को नकद में खरीदा गया, और रिकॉर्ड से बचने के लिए कोई इनवॉयस नहीं बनाया गया।

  • अधिकारियों की मिलीभगत: जांच में यह भी सामने आया कि हालांकि तमिलनाडु ड्रग्स कंट्रोल विभाग के अधिकारी श्रीसन फार्मास्यूटिकल के मालिक के लगातार संपर्क में थे, लेकिन ड्रग एंड कॉस्मेटिक रूल्स के अनुसार अनिवार्य वार्षिक निरीक्षण (annual inspections) नहीं किए गए।

ED ने पहले प्रोपराइटर, ड्रग कंट्रोल अधिकारियों और लाइसेंस दलालों से जुड़े 10 स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया था, जिसमें वित्तीय गतिविधियों और मिलावटी निर्माण से संबंधित महत्वपूर्ण सबूत जब्त किए गए थे।

आगे की जांच जारी है।


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