बरेली। समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री आज़म खां मंगलवार को आखिरकार 23 महीने बाद जेल से आज़ाद हो गए।

बरेली। समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री आज़म खां मंगलवार को आखिरकार 23 महीने बाद जेल से आज़ाद हो गए। सीतापुर जेल से रिहा होते ही समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। रामपुर लौटते वक्त बरेली की सीमा पर जगह-जगह उनका जोरदार स्वागत किया गया।

शाम करीब चार बजे उनका काफिला सीबीगंज के बड़े बाईपास से झुमका तिराहे पर पहुंचा तो माहौल जश्न में बदल गया। सैकड़ों कार्यकर्ता फूल-मालाओं और पार्टी के झंडों के साथ उनका इंतज़ार कर रहे थे। भीड़ इतनी बेकाबू हो गई कि धक्का-मुक्की शुरू हो गई।

इसी वजह से आज़म खां गाड़ी से बाहर नहीं निकल सके। करीब तीन मिनट तक उन्होंने गाड़ी में बैठे-बैठे ही हाथ हिलाकर समर्थकों का अभिवादन स्वीकार किया और फिर रामपुर की ओर रवाना हो गए।

सपा जिलाध्यक्ष शिवचरण कश्यप, महानगर अध्यक्ष समीम खान सुल्तानी और पूर्व विधायक सुल्तान बेग समेत तमाम नेताओं की मौजूदगी ने कार्यकर्ताओं का जोश और बढ़ा दिया। ढोल-नगाड़ों की थाप पर कार्यकर्ताओं ने नाचते-गाते हुए लड्डू बांटे और गुलाल उड़ाया। नारेबाज़ी से पूरा इलाका गूंज उठा। भीड़ के कारण चौराहे पर कुछ देर यातायात भी प्रभावित रहा।

आज़म खां की रिहाई पर ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने भी खुशी जताई। उन्होंने कहा कि आज़म खां ने समाजवादी पार्टी को खून-पसीने से सींचा, लेकिन कठिन दौर में अखिलेश यादव ने उन्हें अकेला छोड़ दिया। मौलाना ने सुझाव दिया कि आज़म खां को अपनी अलग पार्टी बनाकर 2027 के विधानसभा चुनाव में मजबूती से उतरना चाहिए।

गौरतलब है कि आज़म खां के खिलाफ 104 मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें से अधिकांश में उन्हें जमानत मिल चुकी है। 2022 में भड़काऊ भाषण मामले में दो साल की सजा के चलते उनकी विधानसभा सदस्यता चली गई थी। फरवरी 2020 में पहली गिरफ्तारी के बाद से ही उनका जेल का सफर शुरू हुआ, जो अब जाकर खत्म हुआ है।

बरेली से रोहिताश कुमार की रिपोर्ट

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