फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों की योजना
आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018 के अधिनियमन और सर्वोच्च न्यायालय के आदेश [स्वतः संज्ञान रिट (आपराधिक) संख्या 1/2019] के बाद, अक्टूबर, 2019 में विशेष पॉक्सो (ईपॉक्सो) न्यायालयों सहित फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों (एफटीएससी) की स्थापना के लिए एक केंद्र प्रायोजित योजना शुरू की गई।
ये न्यायालय यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम, 2012 के अंतर्गत बलात्कार और अपराधों से संबंधित लंबित मामलों की समयबद्ध सुनवाई और समाधान के लिए समर्पित हैं। 790 न्यायालयों की स्थापना के लिए योजना में दो बार वृद्धि की गई है और नवीनतम विस्तार 31 मार्च 2026 तक है।
इस योजना के अंतर्गत वित्तीय परिव्यय 1952.23 करोड़ रुपए है, जिसमें 1207.24 करोड़ रुपए केंद्रीय भागीदारी के रूप में सीएसएस पैटर्न पर निर्भया फंड से व्यय किए जाएंगे।
30.06.2025 तक, 29 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 392 विशिष्ट पॉक्सो (ईपॉक्सो) न्यायालयों सहित 725 फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय कार्यरत हैं, जिन्होंने योजना की शुरुआत से अब तक 3,34,213 मामलों का समाधान किया है। योजना की शुरुआत से अब तक कार्यरत फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों (एफटीएससी) का राज्य/केंद्र शासित प्रदेश-वार विवरण और समाधान किए मामलों की संख्या अनुलग्नक-I में दी गई है।
उच्च न्यायालयों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों (एफटीएससी) में बलात्कार और पॉक्सो अधिनियम से संबंधित मामलों के समाधान की दर नियमित अदालतों की तुलना में काफी अधिक प्रतीत होती है।
जहाँ नियमित अदालतों में बलात्कार और पॉक्सो अधिनियम से संबंधित मामलों के समाधान की औसत दर प्रति माह प्रति अदालत 3.26 अनुमानित है, वहीं एफटीएससी प्रति माह प्रति अदालत औसतन 9.51 मामलों का समाधान करते हैं। इससे पता चलता है कि एफटीएससी के माध्यम से मामलों के समाधान की दक्षता में वृद्धि हुई है।
16 दिसंबर, 2012 के निर्भया कांड के बाद, सरकार ने एक समर्पित निधि – निर्भया निधि – की स्थापना की है, जिसका उपयोग विशेष रूप से महिलाओं की सुरक्षा और संरक्षा में सुधार के लिए डिज़ाइन की गई परियोजनाओं के लिए किया जा सकता है। यह एक गैर-समाप्ति योग्य निधि है, जिसका प्रबंधन वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा किया जाता है।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय निर्भया निधि के अंतर्गत वित्त पोषित किए जाने वाले प्रस्तावों और योजनाओं का मूल्यांकन/अनुशंसा करने वाला नोडल मंत्रालय है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, संबंधित मंत्रालयों/विभागों के साथ मिलकर स्वीकृत योजनाओं की प्रगति की समीक्षा और निगरानी करने का भी दायित्व रखता है।
निर्भया फंड के तहत एफटीएससी की स्थापना और संचालन किया गया है। विभाग ने न्यायालयों के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए अपनी स्थापना के बाद से राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को 1034.55 करोड रुपए की राशि जारी की है।
यह धनराशि सीएसएस पैटर्न (केंद्रीय हिस्सा: राज्य हिस्सा: 60:40, 90:10) पर जारी की जाती है ताकि एक न्यायिक अधिकारी और 7 सहायक कर्मचारियों के वेतन और दैनिक व्यय को पूरा करने के लिए एक फ्लेक्सी अनुदान दिया जा सके। यह धनराशि राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को प्रतिपूर्ति के आधार पर जारी की जाती है, जिसका निर्धारण संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में कार्यरत न्यायालयों की संख्या के आधार पर किया जाता है।
अनुलग्नक-I
योजना की शुरुआत से अब तक संचयी समाधान के साथ-साथ विशेष पॉक्सो (ईपॉक्सो) न्यायालयों सहित कार्यात्मक फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों का राज्य/संघ राज्य क्षेत्र-वार विवरण (30.06.2025 तक)
क्रम सं. | राज्य/केंद्र शासित प्रदेश | कार्यात्मक न्यायालय | योजना के प्रारंभ से अब तक संचयी समाधान | ||||
ईपॉक्सो सहित एफटीएससी | ईपीओसीओ | एफटीएससी | ईपीओसीओ | कुल | |||
1 | आंध्र प्रदेश | 16 | 16 | 0 | 7487 | 7487 | |
2 | असम | 17 | 17 | 0 | 8943 | 8943 | |
3 | बिहार | 46 | 46 | 0 | 17232 | 17232 | |
4 | चंडीगढ़ | 1 | 0 | 374 | 0 | 374 | |
5 | छत्तीसगढ | 15 | 11 | 1289 | 5139 | 6428 | |
6 | दिल्ली | 16 | 11 | 760 | 1958 | 2718 | |
7 | गोवा | 1 | 0 | 82 | 34 | 116 | |
8 | गुजरात | 35 | 24 | 3389 | 13227 | 16616 | |
9 | हरियाणा | 18 | 14 | 2018 | 6069 | 8087 | |
10 | हिमाचल प्रदेश | 6 | 3 | 600 | 807 | 1407 | |
11 | जम्मू और कश्मीर | 4 | 2 | 144 | 167 | 311 | |
12 | कर्नाटक | 30 | 17 | 5377 | 8654 | 14031 | |
13 | केरल | 55 | 14 | 18256 | 7946 | 26202 | |
14 | मध्य प्रदेश | 67 | 56 | 4920 | 27193 | 32113 | |
15 | महाराष्ट्र | 2 | 1 | 8727 | 12017 | 20744 | |
16 | मणिपुर | 2 | 0 | 194 | 0 | 194 | |
17 | मेघालय | 5 | 5 | 0 | 733 | 733 | |
18 | मिजोरम | 3 | 1 | 199 | 70 | 269 | |
19 | नगालैंड | 1 | 0 | 65 | 3 | 68 | |
20 | ओडिशा | 44 | 23 | 7218 | 13036 | 20254 | |
21 | पुदुचेरी | 1 | 1 | 0 | 162 | 162 | |
22 | पंजाब | 12 | 3 | 2785 | 2480 | 5265 | |
23 | राजस्थान | 45 | 30 | 5830 | 13602 | 19432 | |
24 | तमिलनाडु | 14 | 14 | 0 | 10199 | 10199 | |
25 | तेलंगाना | 36 | 0 | 8648 | 2731 | 11379 | |
26 | त्रिपुरा | 3 | 1 | 252 | 237 | 489 | |
27 | उत्तराखंड | 4 | 0 | 1930 | 0 | 1930 | |
28 | उत्तरप्रदेश | 218 | 74 | 43558 | 47901 | 91459 | |
29 | पश्चिम बंगाल | 8 | 8 | 0 | 457 | 457 | |
30 | झारखंड * | 0 | 0 | 2777 | 6337 | 9114 | |
31 | अंडमान और निकोबार द्वीप समूह** | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | |
32 | अरुणाचल प्रदेश*** | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | |
कुल | 725 | 392 | 119392 | 214821 | 334213 |
नोट: योजना की शुरुआत में, देश भर में फास्ट ट्रैक कोर्ट (एफटीएससी) का आवंटन प्रति न्यायालय 65 से 165 लंबित मामलों के मानदंड पर आधारित था, अर्थात प्रत्येक 65 से 165 लंबित मामलों के लिए एक फास्ट ट्रैक कोर्ट (एफटीएससी) स्थापित किया जाएगा। इसके आधार पर, केवल 31 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश ही इस योजना में शामिल होने के पात्र थे।
झारखंड राज्य ने दिनांक 07.07.2025 के पत्र के माध्यम से एफटीएससी योजना से बाहर निकलने का निर्णय लिया है। हालाँकि, योजना की शुरुआत से मई 2025 तक 9,114 मामलों के संचयी निपटान को एफटीएससी योजना के अंतर्गत रिपोर्ट किए गए समग्र समाधान आंकड़ों में सम्मिलित किया जाना जारी रहेगा।
अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह ने इस योजना में सम्मिलित होने के लिए सहमति दे दी है, लेकिन अभी तक किसी भी न्यायालय का संचालन नहीं किया गया है।
अरुणाचल प्रदेश ने बलात्कार और पोक्सो अधिनियम के लंबित मामलों की बहुत कम संख्या का संदर्भ देते हुए इस योजना से बाहर होने का विकल्प चुना है। |
विधि एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा संसदीय कार्य राज्यमंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने यह जानकारी आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
ब्यूरो चीफ, रिजुल अग्रवाल