मिशन शक्ति 5.0 के तहत महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा के लिए शुरू की गई पहल अब उम्मीद की किरण बन चुकी है।

बरेली। मिशन शक्ति 5.0 के तहत महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा के लिए शुरू की गई पहल अब उम्मीद की किरण बन चुकी है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण हाल ही में फरीदपुर पुलिस ने पेश किया, जिसने एक छह साल की दुष्कर्म पीड़िता को न सिर्फ न्याय दिलाने की दिशा में कदम बढ़ाया, बल्कि उसके इलाज, देखभाल और मानसिक मजबूती तक हर स्तर पर साथ निभाया। पुलिस की इस मानवीय पहल की पूरे जनपद में सराहना हो रही है।

दो सितंबर को फरीदपुर क्षेत्र में छह वर्षीय बच्ची के साथ दरिंदगी की वारदात हुई थी। सूचना मिलते ही फरीदपुर पुलिस हरकत में आई। थाना प्रभारी ने तत्काल एफआईआर दर्ज कर बच्ची को गंभीर हालत में सीएचसी फरीदपुर भिजवाया। हालत नाजुक होने पर उसे एसआरएमएस अस्पताल रेफर किया गया, जहां उसकी दो जटिल सर्जरी हुईं। इलाज के दौरान मिशन शक्ति टीम लगातार बच्ची और उसके परिवार के साथ रही।

एसपी दक्षिणी अंशिका वर्मा, जो मिशन शक्ति की नोडल अधिकारी भी हैं, ने खुद अस्पताल पहुंचकर बच्ची की स्थिति देखी और परिजनों को भरोसा दिलाया कि इलाज से लेकर हर संभव मदद तक पुलिस साथ खड़ी रहेगी। मिशन शक्ति केंद्र की प्रभारी उपनिरीक्षक मानसी हुड्डा और महिला कॉन्स्टेबल जागेश्वरी देवी ने बच्ची को मानसिक हिम्मत दी और परिजनों को भी ढांढस बंधाया।

लगभग 50 दिन अस्पताल में भर्ती रहने के बाद बच्ची अब पूरी तरह स्वस्थ होकर घर लौट आई है। इस दौरान मिशन शक्ति टीम लगातार अस्पताल में जाकर फॉलोअप लेती रही और जरूरत पड़ने पर हर तरह की मदद पहुंचाती रही। पुलिस की इस संवेदनशील कार्रवाई ने दिखा दिया कि अब मिशन शक्ति सिर्फ एक अभियान नहीं, बल्कि मानवता की जिम्मेदारी का प्रतीक बन चुका है। परिवार आर्थिक रूप से कमजोर था, इसलिए पुलिस ने आगे बढ़कर रानी लक्ष्मीबाई योजना के तहत आर्थिक सहायता दिलाने की पहल की। साथ ही बच्ची की आगे की पढ़ाई और उज्जवल भविष्य के लिए भी विभागों के साथ समन्वय बनाया गया।

एसएसपी अनुराग आर्य ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर जिले के हर थाने में मिशन शक्ति केंद्र बनाए गए हैं, जहां महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा, सम्मान और सहायता के लिए समर्पित टीमें तैनात हैं। फरीदपुर पुलिस ने जिस तरह संवेदनशीलता दिखाई, वह पूरे मिशन शक्ति अभियान का सशक्त उदाहरण है। फरीदपुर की यह कहानी साबित करती है कि पुलिस वर्दी में सिर्फ सख्ती नहीं, बल्कि एक संवेदनशील दिल भी धड़कता है। जो समाज की नन्हीं उम्मीदों को फिर से मुस्कुराने की ताकत देता है।

बरेली से रोहिताश की रिपोर्ट

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