अंग्रेजी नए वर्ष की तैयारी में जुटे युवा, रोहतास में इन जगहों पर कर सकते सेलिब्रेट

रोहतास- अंग्रेजी नए वर्ष का नये अंदाज में स्वागत करने को ले युवाओं व छोटे-छोटे बच्चों ने तैयारियां आरंभ कर दी हैं। आम तौर पर परिवार के साथ लोग मंदिरों में पहुंचकर पूजा अर्चना कर भगवान नये साल में नये संकल्पों के साथ बढ़ने का आर्शिवाद मांगते हैं।

वैसे नववर्ष आने में अभी दो दिनों का समय शेष है। लेकिन तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। वैसे अंग्रेजी नए वर्ष का इंतज़ार युवा पीढ़ी को सबसे ज्यादा रहता है। इस नव वर्ष पर सभी लोग अपने-अपने दोस्त, परिवार व रिश्तेदारो को बधाई देंगे। हर कोई अपने तरीके से नए साल का स्वागत करेगा। नए साल पर अपने दोस्तों, परिवारो व रिश्तेदारों को शुभकामना देने की परंपरा कई वर्षो से चली आ रही है। आज के बढ़ते इस वैज्ञानिक युग में बहुत से लोग मोबाईल एसएमएस, फेसबुक व व्हाट्सएप्प के माध्यम से दूसरो को नववर्ष की शुभकामना देते हैं। लेकिन कुछ लोग आज भी ग्रीटिंग्स कार्ड भेजकर नववर्ष की शुभकामनाएँ देते हैं। जिले के बाज़ारो में दुकानों पर ₹5-500 रूपये तक की ग्रीटिंग्स बिक रही है।

वही ग्रीटिंग विक्रेता गोपाल प्रसाद व गोरख कुमार का कहना है कि मोबाईल इन्टरनेट के क्रेज बढ़ने से ग्रीटिंग्स कार्ड भेजने की परंपरा थोड़ी कम जरूर हुई है। लेकिन आज भी बहुत से लोग ग्रीटिंग्स के माध्यम से ही दुसरो को शुभकामना देते हैं। वही ग्रीटिंग्स खरीदने आये छोटे बच्चो ने बताया कि वह अपने दोस्तों को ग्रीटिंग्स देने के लिए ख़रीदारी की है। वैसे जिले में नए वर्ष की सेलिब्रेट करने के लिए कई पिकनिक स्पॉट या पार्क है। नया साल आते ही हम सब सोचने लग जाते हैं कि कैसे इस दिन को सबसे खास मनाया जाए? कैसे इसे यादगार मनाया जाए? खुशियों का जश्न हमेशा फैमिली व फ्रैंड्स के साथ करना चाहिए, तो नए साल की खुशियां आप अपने दोस्तों व परिवार वालों के साथ मना सकते हैं. अगर आप रोहतास एवं कैमूर जिले के रहने वाले हैं, तो आपको सोचने की भी जरूरत नहीं है कि कहां जाएं, क्योंकि रोहतास व कैमूर में इतनी सारी जगहें है घूमने की. आज हम आपको रोहतास व कैमूर की कुछ ऐसी जगहों के बारे में बताएंगे, जहां आप अपने परिवार व दोस्तों के साथ नए साल का जश्न मना सकते हैं.

रोहतासगढ़ किला: विंध्य पर्वत श्रृंखला की कैमूर पहाड़ी के शीर्ष पर शोभयमान रोहतासगढ़ का किला आदिकाल से साहस, शक्ति व सोन घाटी की सर्वोच्चता के प्रतीक के रूप में खड़ा है. रोहतासगढ़ का किला काफी भव्य है. किले का घेरा 28 मील तक फैला हुआ है. इसमें कुल 83 दरवाजे हैं, जिनमें मुख्य चारा घोड़ाघाट, राजघाट, कठौतिया घाट व मेढ़ा घाट है. प्रवेश द्वार पर निर्मित हाथी, दरवाजों के बुर्ज, दीवारों पर पेंटिंग अद्भुत है. रंगमहल, शीश महल, पंचमहल, खूंटा महल, आइना महल, रानी का झरोखा, मानसिंह की कचहरी आज भी मौजूद हैं. परिसर में अनेक इमारतें हैं जिनकी भव्यता देखी जा सकती है. यहां की प्रकृति छटा देखते ही बनती है. नए साल पर यहां पिकनिक मनाने के लिए लोगों का हुजूम टूटता है.

शेरशाह का मकबरा: नए वर्ष के जश्न में यहां देसी ही नहीं विदेशी सैलानी भी आते हैं. यहां नए वर्ष पर खासकर युवाओं की हुजूम रहती है. बता दें कि शेरशाह मकबरा बाईस एकड़ में फैले आयताकार तालाब के बीच स्थित शेरशाह का मकबरा का दुनिया में अपनी पहचान है. मुख्य मकबरा तक जाने के लिए तालाब के उत्तर में स्थित दरबान के चौकोर मकबरे से होकर गुजरना पड़ता है. दरबार के मकबरे और शेरशाह के रौज़े की तालाब के बीच तीन सौ फीट लंबी एक पुलनुमा सड़क जोड़ती है. तालाब के बीच में तीस फीट ऊँचे चबूतरे पर अष्टपहलदार रौज़े का निर्माण हुआ है. इसकी भव्यता देखते ही बनती है. इसकी सुंदरता का बखान करते हुए अंग्रेज पुरविद् कनिंघम ने कहा था कि “शेरशाह का यह रौजा वास्तुकला की दृष्टि से ताजमहल की तुलना में अधिक सुन्दर है.”

इन्द्रपुरी डैम: नए वर्ष पर इन्द्रपुरी डैम के पास पिकनिक मनाने रोहतास सहित सीमावर्ती जिलों के लोग जुटते है. अधिकतर लोग इन्द्रपुरी डैम के पास लिट्टी-चोखा पार्टी करते है. यहां सोन नद का अद्भुत नजारा दिखता है. बता दें कि इंद्रपुरी डैम (जिसे सोन बराज के नाम से भी जाना जाता है) रोहतास जिले के इन्द्रपुरी में सोन नदी के पर है. इंद्रपुरी बराज 1,407 मीटर (4,616 फीट) लंबा है और दुनिया में चौथा सबसे लंबा बैराज है. इसका निर्माण एचसीसी द्वारा किया गया था, जिसने दुनिया में सबसे लंबी 2,253 मीटर लंबी फरक्का बैराज का निर्माण किया था. इंद्रपुरी बैराज का निर्माण 1960 के दशक में किया गया था और इसे 1968 में चालू किया गया था.

दुर्गावती डैम: रोहतास और कैमूर जिला के सीमा पर अवस्थित यह डैम अपनी रमणीयता व प्राकृतिक सुंदरता को ले पूर्व से ही आकर्षण का केंद्र रहा है. अब यहां विशेष उत्सवों पर पिकनिक मनाने हजारों की संख्या में लोग जुटते हैं. बता दें कि दुर्गावती जलाशय रोहतास के शेरगढ़ पहाड़ी व कैमूर के करमचट के पास राजादेव टोंगर की पहाड़ी के बीच से निकलने वाली दुर्गावती नदी पर बना है. डैम के पूर्वी तट पर जिले की सीमा में शेरगढ़ का प्राचीन भूमिगत किला दर्शकों के आकर्षण का महत्वपूर्ण केंद्र बना हुआ है, तो वहां से कुछ ही दूरी पर भुड़कुड़ा का प्राचीन किला भी सैकड़ों वर्षों से विद्यमान है. वहां जाने वाले सैलानियों को भ्रमण के लिए पूरा एक दिन भी कम पड़ जा रहा है. शेरगढ़ किले की प्राचीर से दुर्गावती जलाशय का विहंगम दृश्य देखते ही बनता है.

जगदहवा डैम: जहां तक नजर जाए बस हरियाली ही हरियाली, पहाड़ और खूबसूरत प्राकृतिक नजारे. पक्षियों की चहचाहट, हवा से हिलते पेड़ों के पत्तों की सरसराहट के बिच जब आप वहां भ्रमण करते है तो एक नैसर्गिक सुकून का अहसास होता है. हम बात कर रहे हैं कैमूर जिले के जगदहवा डैम की. जगदहवा डैम एक खूबसूरत पिकनिक स्पॉट भी है. जो भभुआ शहर से करीब 20 किमी दूर चैनपुर थाना क्षेत्र में है.

मांझर कुंड: रोहतास के कैमूर पहाड़ी पर स्थित मांझर कुंड अपनी मनोरम सुंदरता के लिए जाना जाता है. बरसात की शुरुआत होते ही यहां पर्यटकों की आमद बढ़ जाती है. मांझर कुंड जलप्रपात दशकों से प्रकृति प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है. यहां आकर लोग प्रकृति के संगीत को करीब से सुन पाते हैं. पहाड़ से गिरते पानी को निहारना रोमांचक एहसास देता है.कैमूर पर्वत श्रृंखला में तीन किमी की परिधि में अवस्थित मांझर कुंड राज्य के रमणीक स्थानों में महत्व रखते हैं. वैसे अभी के दिनों में इस जलप्रपात में पानी नामात्र रहती है. फिर भी लोगों को यहां की प्रकृति की छटा खींच लाती है और नए वर्ष में पिकनिक मनाने लोग यहां पहुंच जाते है.

तेल्हाड़ कुंड: कैमूर जिला मुख्यालय से लगभग 33 किलोमीटर की दूरी पर अधौरा प्रखंड स्थित कैमूर की वादियों में बसा तेल्हाड़ कुंड प्रकृति की अनोखी छटा बिखेरता है. कहते हैं कि तेल्हाड़ कुंड पहुंचने के बाद यहां आये लोगों की प्रकृतिकी एक सुखद अनुभूति होती है. यहां के पहाड़ों की सुंदरता व कुंड का दृश्य देखने के लिए कैमूर जिला सहित आस पड़ोस के जिलों के लोग भी काफी संख्या में आते हैं. यहां पिकनिक मनाने के लिए प्रत्येक साल के आगमन के प्रथम दिन काफी भीड़ होती है.

नेहरु शिशु उद्यान: यह सासाराम के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के समीप पुराने जीटी रोड के किनारे स्थित है. बच्चों से लेकर बुढ़े तक यहां पर सुबह में मॉनिंग वॉक व शाम के समय में मनोरंजन करने पहुंचते हैं. उद्यान में लगे फव्वारे के बीच आकर्षक तरीके से सजाये गये रंग बिरंगे झालरों के बीच शाम के समय में उसकी दिव्य छठा देखते ही बन रही है. नए वर्ष में नेहरु शिशु उद्यान में शहर के लोग अपने परिवार के साथ पहुँचते है. पार्क दिनभर गुलजार रहता है.

एनिकट, डिहरी: डेहरी-ऑन-सोन स्थित सोन नद का एनिकट क्षेत्र लोगों को सदैव आकर्षित करती है. यहां की मनोरम छटा के साथ 20 नंबर फाटक कालांतर में सोन नद के बहाव को नियंत्रित करने के लिए बांध के रूप में काम करता था. यहां लोग फुर्सत के दो क्षण व्यतीत करने से गुरेज नहीं करते. यहाँ छोटे पार्क एवं मंदिर भी है. ऐसे में यह स्थान नए वर्ष में शहर के लोगों के लिए पहली पसंद है. एनिकट में लोग सोन नद के बालू पर पिकनिक भी मनाते है.

ताराचंडी शक्तिपीठ: सासाराम शहर से दक्षिण में कैमूर पहाड़ी की मनोरम वादियों में मां ताराचंडी का वास है. कैमूर पहाड़ी की गुफा में अवस्थित जगत जननी मां ताराचंडी देवी एक सिद्ध शक्तिपीठ है. मंदिर का इतिहास अति प्राचीन है. मान्यताओं के अनुसार सती का दायां नेत्र इस स्थान पर गिरा था. नेत्र गिरने के कारण ही इस धार्मिक स्थल का नाम मां ताराचंडी धाम विख्यात हुआ. नए वर्ष पहले दिन यहाँ लोग आकर अपने साल की शुरुआत करते है.

भलुनी भवानी धाम: सासाराम से उत्तर करीब 50 किमी दूर व बक्सर से दक्षिण करीब 50 किमी दूर दिनारा प्रखंड में भलुनी धाम आस्था का केन्द्र है. इसे सिद्ध शक्ति पीठ माना जाता है. इस धाम में यक्षिणी स्वरुप में मां दुर्गा विराजमान है. नए वर्ष में यहाँ हजारों लोग पहुंचते है.

तुतला भवानी: रोहतास जिले के तिलौथू क्षेत्र के अंतर्गत चंद्रपुरा पंचायत में प्राकृतिक सौंदर्य के बीच स्थित है तुत्लेश्वरी भवानी का धाम तुतला भवानी. हजारों फुट ऊंची पर्वत शृंखला व हरी वनस्पति छटा के बीच झरझर गिरते ऊंचे झरने के मध्य में स्थित माता का मंदिर जिसके दर्शन मात्र से भक्तों के कष्ट दूर हो जाते हैं. प्राकृतिक के गोद में बसे यहां जलकुंड भी लोगों को आकर्षण का केंद्र रहे हैं. जिससे अनायास ही लोग यहां खिंचे चले आते हैं.

पायलट बाबा आश्रम: सासाराम शहर के पूर्वी हिस्से में 10 एकड क्षेत्र में स्थित पायलट बाबा आश्रम में 80 फीट ऊँची बुद्ध भगवान की प्रतिमा है तो वही सोमनाथ की तर्ज पर निर्माणाधीन भगवान शंकर का मंदिर. वहीं उक्त परिसर में विभिन्न धर्मों की आस्था से जुड़े गुरुओं मस्लन गुरु गोविन्द सिंह, संत रविदास जैसे अनेक महापुरुषों की प्रतिमाएं स्थापित की गयी हैं. यहाँ हर मौसम में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.

इसके अलावे नौहट्टा प्रखंड स्थित महादेव खोह, सासाराम स्थित साईं मंदिर सहित कई मंदिर और मस्जिद है, जहां से आप नए वर्ष की शुरुआत कर सकते हैं.

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