यह कैसा कानून है पार्टियों के प्रत्याशियों के लियें सुरक्षा पुलिस कर्मी लगाऐ जातें

देश में कोई भी चुनाव हो तो पुलिस कर्मी को झेलना पड़ता हैं,


हम बात कर रहे है देश में हो रहे लोकसभा चुनाव की जिसमें देखा जा रहा है कि राजनीतिक पार्टी के प्रत्याशी को एक सुरक्षा पुलिस कर्मी मिलता है।
प्रत्याशी दिन भर पदयात्रा करता है तो वो पुलिस कर्मी भी पीछे पीछे पदयात्रा करता है।
कई बार देखा गया है कि प्रत्याशी सुरक्षा पुलिस कर्मी को अपना हेल्पर भी बना लेतें है जैसें प्रत्याशी अपनी फूल मालाऐ, बैग, आदि पुलिस कर्मी के हाथ मे पकड़ा देतें है। जोकी बहुत ही निन्दनीय है।
हम जानना चाहते हैं…


कि क्या राजनीतिक पार्टी के प्रत्याशी को जनता से डर लगता है?
क्या राजनीति पार्टी के प्रत्याशी चुनाव प्रचार प्रसार के समय वी.आई.पी.या सरकारी व्यक्ति होते है जो यह नियम व कानून चल रहा है?
ज़रा सोचें की एक पुलिस कर्मी दिन भर एक आम व्यक्ति के लियें हेल्पर मजदूर की तरह पीछे पीछे भागता रहता है जबकि कानून की सीढ़ी ही इस पुलिस कर्मी से सूरू होती है।
हमारे देश में पुलिस के जवान 24*7 घंटे देश के चप्पे चप्पे पर गंभीरता से मुस्तैद रहते हैं,उसके बाद भी पुलिस जवानो को प्रत्याशियों के साथ क्यूँ तैनात किया जाता है।
हमारा तो मानना यह है कि पुलिस कर्मी को सम्मान दिया जाए और यह नियम हटाऐ जाऐं जो राजनीतिक पार्टी के प्रत्याशी के साथ हमारे सुरक्षा व्यवस्था पुलिस बल कर्मी को एक आम व्यक्ति के लियें दिन भर हेल्पर बनाकर दौड़ाया जाता है।
प्रत्याशी कोई जनहित के कार्ये करने नहीं जाते है,और न ही जनहित के कार्ये है यह तो सिर्फ चुनाव है।
यह तो सिर्फ अपनी कुर्सी पाने के लिए वोटरों को लुभाने जाता है
यह कोई सामाजिक कार्य नहीं है और न ही देशहित कई कार्य है, यह सिर्फ और सिर्फ अपनी कुर्सी पाने का कार्य है।

तो प्रत्याशी को पुलिस कर्मी दिया क्यूँ जाता है?

आपका
कामरान अली
बरेली. उत्तर प्रदेश

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