राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव 2019 का जबलपुर संस्करण आज विभिन्न कला रूपों के शानदार एवं भव्य प्रस्तुति के साथ संपन्न हुआ

कल से राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव का सागर और रीवा संस्करण शुरू होगा

राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव (आरएसएम) 2019, मध्य प्रदेश में संस्कृति मंत्रालय द्वारा 14 अक्टूबर, 2019 से आयोजित किया जाने वाला प्रमुख उत्सव, का आज जबलपुर में धमाकेदार भव्य प्रदर्शन एवं ‘धुर्वा-भारत का पहला संस्कृत फ्यूजन बैंड’, महान मणिपुरी नृत्यांगना श्रीमती प्रीति पटेल और कव्वाली संगीतकार साबरी ब्रदर्स के विभिन्न प्रस्तुतियों के साथ संपन्न हुआ। इसके आगे की यात्रा अब सागर और रीवा में कल से शुरू होगी।

लगातार पाँच वर्षों से, यह त्यौहार ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की छत्रछाया में भारत की समृद्ध, विविध और अनदेखी संस्कृति से राज्य के दर्शकों को प्रभावी ढंग से जोड़ने में एक प्रमुख भूमिका निभाने का निरंतर प्रयास कर रही है और साथ ही प्रशंसा भी प्राप्त कर रही है। यह महोत्सव एक ही जगह पर 400 से अधिक कलाकारों को एक साथ विभिन्न लोक नृत्य रूपों पर प्रदर्शन करने के लिए एक मंच पर लेकर आया है और पूरे भारत के मुख्य कारीगरों द्वारा बनाए गए हस्तशिल्पों को प्रदर्शित किया, और साथ ही पारंपरिक शेफ द्वारा तैयार किए गए विविध व्यंजनों को भी दिखाया।

यह आरएसएम जो अपने पिछले अध्यायों से एक बड़ा सांस्कृतिक उत्सव रहा है, सभी में ‘एकता का विचार’ को मनाता है। केंद्रीय संस्कृति मंत्री, श्री प्रहलाद सिंह पटेल ने भारत के गांवों में सबसे समृद्ध संस्कृति और कला रूपों की खोज करने का विचार कलाकारों और दर्शकों को समान रूप से दिया है, जिसने इस त्यौहार के उत्सव को एक अनूठा आकर्षण भी दिया है।

‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की व्यापक थीम के तहत सभी क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों जैसे दृश्य और पाक कला के लिए शास्त्रीय नृत्य, लोकनृत्य, लोक संगीत आदि कलाकारों द्वारा प्रचलित कला रूपों की एक प्रस्तुति है। इस महोत्सव में लगाए गए स्टालों और तंबुओं में हथकरघा और हस्तशिल्प का समान रूप से प्रदर्शन किया जा रहा है। बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और कई अन्य राज्यों की पाक-कला संबंधी संस्कृति को फूड स्टॉल के माध्यम से प्रदर्शित किया जा रहा है। जबलपुर के लोगों ने पहले दो दिनों के लिए एक परिसर के तहत एक अप्रतिम खरीदारी अर्थात हस्तशिल्प, व्यंजन, मूर्तिकला, फोटोग्राफी, और प्रदर्शन कला का अनुभव प्राप्त किया। उद्घाटन दिवस शास्त्रीय वाद्यवादक पंडित विश्व मोहन भट्ट, कथक वादक श्रीमती शोभना नारायण, प्रसिद्ध हिंदी और मराठी पार्श्व गायक श्री सुरेश वाडकर द्वारा की गई आकर्षक प्रस्तुति से पूरा हुआ।

‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की व्यापक थीम के तहत सभी क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों जैसे दृश्य और पाक कला के लिए शास्त्रीय नृत्य, लोकनृत्य, लोक संगीत आदि कलाकारों द्वारा प्रचलित कला रूपों की एक प्रस्तुति है। इस महोत्सव में लगाए गए स्टालों और तंबुओं में हथकरघा और हस्तशिल्प का समान रूप से प्रदर्शन किया जा रहा है। बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और कई अन्य राज्यों की पाक-कला संबंधी संस्कृति को फूड स्टॉल के माध्यम से प्रदर्शित किया जा रहा है। जबलपुर के लोगों ने पहले दो दिनों के लिए एक परिसर के तहत एक अप्रतिम खरीदारी अर्थात हस्तशिल्प, व्यंजन, मूर्तिकला, फोटोग्राफी, और प्रदर्शन कला का अनुभव प्राप्त किया। उद्घाटन दिवस शास्त्रीय वाद्यवादक पंडित विश्व मोहन भट्ट, कथक वादक श्रीमती शोभना नारायण, प्रसिद्ध हिंदी और मराठी पार्श्व गायक श्री सुरेश वाडकर द्वारा की गई आकर्षक प्रस्तुति से पूरा हुआ।

10 वीं राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव (आरएसएम) का हस्ताक्षर भारतीय संस्कृति की समृद्ध विविधता और विशिष्टता को प्रस्तुत करना और नई पीढ़ी को भारतीय संस्कृति के साथ जोड़ना है। दूसरे दिन ध्रुव के बैंड प्रदर्शन के साथ शुरू हुआ और इसके साथ ही पहली बार, आरएसएम ने अपनी पिछली प्रस्तुति को गंभीर रूप में पेश किया और नवीनता को भी आत्मसात किया। विभिन्न आयु-समूहों के संदर्भ में उपस्थिति की विविधता भी देखी गई। श्रीमती प्रीति पटेल के पारंपरिक मणिपुरी नृत्य के प्रदर्शन से दर्शकों को शानदार उत्साह और खुशी मिली। आरएसएम का दूसरा दिन साबरी ब्रदर के भावपूर्ण प्रदर्शन के साथ समाप्त हुआ, जिसके लिए दर्शकों की भीड़ से प्रशंसा मिली और दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मशहूर कव्वाली देर ना हो जाए कहीं देर ना हो जाए’ पर दर्शकों की  प्रतिक्रिया देखने लायक रही।

राष्ट्रीय संस्कृत महोत्सव की अगली यात्रा सागर के पीटीसी मैदान, पीली कोठी रोड, सिविल लाइंस, सागर में कल शाम 6 बजे से रात 9.30 बजे तक शुरू होगी। तीसरे दिन के कुछ महत्वपूर्ण आकर्षण, नीचे सूचीबद्ध हैं:

1. भारत के सभी क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों द्वारा लोक गीत और नृत्य की प्रस्तुति

2. मुख्य मंच पर ‘माटी के लाल’ की थीम के तहत मध्य प्रदेश के स्थानीय कलाकारों की प्रस्तुति

3. शिवचरण साहू और समूह द्वारा पुरुलिया के छऊ नृत्य की प्रस्तुति

4. सिद्ध कलाकारों रूप कुमार और सोनाली राठौड़ द्वारा प्रस्तुति

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

%d bloggers like this: