SC/ST एक्ट में सुप्रीम कोर्ट नहीं किया बदलाव, सभी पार्टियों से हंगामा करने पर मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST एक्टमें आज पुनर्विचार याचिका की सुनवाई करते हुए, SC/ST एक्ट के अपने फैसले में किसी भी तरह के बदलाव को सिरे से खारिज कर दिया है । शीर्ष कोर्ट ने कहा है कि उसने SC/ST एक्ट के प्रावधानों को छुआ भी नहीं है, सिर्फ तुरंत गिरफ्तार करने की पुलिस की शक्तियों पर लगाम लगायी है। इस मामले में केस दर्ज करने, मुआवजा देने के प्रावधान बिल्कुल बेअसर हैं। समीक्षा याचिका पर दस दिन बाद खुले कोर्ट में आगे सुनवाई होगी। कोर्ट ने दो दिनों से अंदर सभी पार्टियों से इस मसले पर जवाब मांगा है। इसके साथ ही देश की सभी राजनीतिक पार्टियों से 2 दिन तक चले हंगामें पर जवाब मांगा है।
सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने कहा है कि वह इस एक्ट के खिलाफ नहीं है, लेकिन निर्दोषों को सजा नहीं मिलनी चाहिए। कोर्ट ने कहा है कि गिरफ्तार करने की शक्ति CRPC से आती है SC/ST एक्ट कानून से नहीं, हमने सिर्फ इस प्रक्रियात्मक कानून की व्याख्या की है, SC/ST एक्टकी नहीं।
कोर्ट ने कहा हम हंगामा नहीं चाहते। कोर्ट ने केंद्र सरकार का 20 मार्च के फैसले पर रोक लगाने से साफ मना कर दिया। एक्ट में बदलाव के विरोध पर 2 अप्रैल को हुए भारत बंद पर कोर्ट ने कहा, बाहर क्या हो रहा है हमे इससे मतलब नहीं हम सिर्फ कानून का पक्ष देखेंगे। कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों पर तंज कसते हुए कहा है कि जो लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं उन्होंने हमारा जजमेंट पढ़ा भी नहीं है। हमें उन निर्दोष लोगों की चिंता है जो जेलों में बंद हैं।
आपको बता दें कि SC/ST एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के संदर्भ में केंद्र सरकार ने सोमवार को पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। सरकार ने इस फैसले के खिलाफ आयोजित भारत बंद में हुई हिंसा का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से स्टे की दरख्वास्त की थी।
जस्टिस एके गोयल और जस्टिस यूयू ललित की बेंच रिव्यू पिटिशन की सुनवाई कर रही है। आपको बता दें कि SC/ST एक्ट में बदलाव के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को विरोध में दलित संगठनों ने सोमवार को भारत बंद का आह्वान किया था। भारत बंद के दौरान दलित आंदोलन हिंसक हो गया और अब तक 11 लोगों की मौत हो चुकी है।
क्या है पूरा मामला
गौरतलब है पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST एक्ट पर के गलत इस्तेमाल पर चिंता जताते हुए इसके तहत दर्ज मामलों में तत्काल गिरफ्तारी न किए जाने का आदेश दिया था। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST एक्ट पर के तहत दर्ज होने वाले केसों में अग्रिम जमानत को भी मंजूरी दे दी गई थी। जबकि मूल कानून में अग्रिम जमानत की व्यवस्था नहीं की गई है। वहीं दर्ज मामले में गिरफ्तारी से पहले डिप्टी एसपी या उससे ऊपर के रैंक का अधिकारी आरोपों की जांच करेगा और फिर कार्रवाई होगी।
कोर्ट के इस फैसले के बाद दलित संगठनों और नेताओं ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया था। आपको बता दें कि इस मुद्दे को लेकर केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान, थावरचंद गहलोत सहित कई सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की थी।