सौवाँ आला हज़रत उर्स में चादरों की जगह किताबो के जुलूस का कारवां निकाला !
सौ साला उर्स ए रज़वी के मौके पर आला हज़रत इमाम अहमद रजा फाज़िले बरेलवी के इल्मी प़ैगाम को जन-जन तक पहुंचाने के लिए किताबो के जुलूस का कारवां निकाला गया।
रज़ा अकेडमी के अध्यक्षक मौलाना सईद नूरी ने जुलूस की कयादत करते हुए सबसे पहले दरगाह नासिर मियां मे हाज़री देकर नौ महला मस्जिद से जुलूस रवाना किया। जुलूस को संबोधित करते हुए *मौलाना सईद नूरी ने कहा* कि आला हज़रत का सबसे बड़ा काम उनके द्वारा लिखी गई *1000 से ज्यादा* किताबें हैं। किताबो की वजह से ही पूरी दुनिया में नाम रोशन हुआ। इस सदी में उनसे बड़ा कोई मुफस्सिर, मुहादिस्स, फक़ीह नहीं गुज़रा है। जुलूस में भारी तादाद में मदरसे के छात्रो और शहर के लोगों ने भाग लिया ! सभी के हाथों में आला हज़रत की लिखी हुई किताबे और उनके जीवन परिचय पर लिखी गई पुस्तके हांथ में लिये रहे। जुलूस नौ महला मस्जिद से इस्लामिया, ख़लील स्कूल से होता हुआ करोलान, ज़िला पंचायत, बिहारीपुर डाल से गुजरता हुआ, मस्जिद वी वी जी सौदागीरान से दरगाह आला हज़रत पर पहुंच कर समापन हुआ। जुलूस में शामिल तमाम किताबो को आला हज़रत के मज़ार पर पेश करके सलातो सलाम और दुआं की गयी ! इस मौके पर *मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने कहा* कि जो लोग 100-100 मीटर की चादरें और 100-100 किलो फुल मे हजारो रुपए ख़र्च कर रहे हैं उनको *एक नई सोच और नये तरीके* से काम करने का नज़ारिया दिया गया है ताके लोग चादरो व फुलों में बेपनाह पैसा खर्च न करके किताबो को खरीदे और पढ़ें और दुसरोव जरुरत मन्दो को मुफ्त किताब वितरण करे। ० ० ० ० ० ० जुलूस की व्यवस्था हाजी इकरार नूरी, गौहर खाँ नूरी, हस्सान रज़वी, मौलाना जिलानी, हाजी नाज़िम बेग हाजी रफीक, अनवर रज़ा कादरी, डॉक्टर नदीम रज़ा कादरी आदि ने अन्ज़ाम दिया।