ऋतु परिवर्तन और सूर्य के उत्तरायण का दिन इस रविवार
मकर संक्रांति का महत्त्व- सूर्य के उत्तरायण हो जाने के कारण है| शीत काल जब समाप्त होने लगता है तो सूर्य मकर रेखा का संक्रमण करते (काटते) हुए उत्तर दिशा की ओर अभिमुख हो जाता है, इसे ही उत्तरायण कहा जाता है| एक फसल काटने के बाद इस दौरान दूसरे फसल के लिए बीज बोया जाता है|
एक वर्ष में कुल 12 संक्रांतियां आती हैं| इनमे से मकर संक्रांति का महत्त्व सर्वाधिक है, क्योंकि यहीं से उत्तरायण पुण्य काल (पवित्र/शुभ काल) आरम्भ होता है| उत्तरायण को देवताओं के काल के रूप में पूजा जाता है| वैसे तो इस सम्पूर्ण काल को ही पवित्र माना जाता है, परन्तु इस अवधि का महत्त्व कुछ ज्यादा है| इसी के बाद से सभी त्यौहार आरम्भ होते हैं|
सूर्य के धनु से मकर राशि में प्रवेश का पर्व मकर संक्रांति रविवार को मनाया जाएगा।
2012 के बाद 2018 में रविवार को संक्रांति – 2012 के बाद 2018 में रविवार को मकर संक्रांति आई है। इसके चलते इस खास दिन रवि प्रदोष का संयोग बन रहा है।
वाहन भैसा, वस्त्र काले – ज्योतिर्विदों के मुताबिक पर्व का वाहन इस बार भैसा, उपवाहन ऊंट, वस्त्र काले, पात्र खप्पर और भक्षण दही है। यह संयोग व्यापारियों के लिए लाभदायक है।
शास्त्रनुसार मकर संक्रांति पर दिए गए दान से सहस्त्र गुणा फल देता है। इस दिन सूर्य के विशेष पूजन उपाय व दान से, कार्यक्षेत्र में तरक्की मिलती है, पारिवारिक संबंध सुदृढ़ होते हैं, आमदनी में बढ़ोत्तरी होती है।
विशेष पूजन विधि- पूर्वमुखी होकर सूर्यदेव का विधिवत पूजन करें। तांबे की दिये में तिल के ताल तेल का दीप करें, तगर की धूप करें, रोली चढ़ाएं, व अशोक के पत्ते चढ़ाएं व लाल फूल चढ़ाएं। जल भरे ताम्र कलश में काले तिल, गुड, उड़द, शहद व सिंदूर मिलाकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें। किसी माला से इस विशेष मंत्र का 1 माला जाप करें।
पूजन मुहूर्त- दिन 14:00 से शाम 15:00 तक। (संक्रांति काल)