इसके अलावा पहली बार ही मंगलवार को प्रियंका गांधी ने ट्वीट भी किया। जिसमें उन्होंने महात्मा गांधी का प्रसिद्ध वाक्य लिखा जिसमें अहिंसा का संदेश शामिल है।

प्रियंका ने लिखा, ‘मैं हिंसा के खिलाफ हूं, क्योंकि जब भी हिंसा का अच्छा असर नजर आता है, वो असर थोड़ी देर के लिए होता है। इस हिंसा से जो बुराई पैदा होती है, वो स्थायी होती है।’

रैली में दिया कटुता से परहेज का संकेत
चुनावी बहस को राष्ट्रवाद की ट्रैक पर दौड़ा रही भाजपा की स्पीड पर ब्रेक लगाने के अपने इरादे जाहिर करते हुए प्रियंका ने यह संदेश भी देने का प्रयास किया कि उनकी संवाद शैली में विरोधी पर प्रहार तो होगा मगर कटुता से परहेज करेंगी।

जनता से जागरूकता और अपने वोट को सबसे बड़ा हथियार बनाने की बात कहते हुए प्रियंका की गई टिप्पणी इसी ओर इशारा करती है। इसकी व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा ये दोनों ऐसे हथियार हैं जिसे किसी को चोट, दुख या नुकसान नहीं पहुंचता मगर जनता को सबसे मजबूत बनता है। हर साल दो करोड नौकरियां देने, हर व्यक्ति के खाते में कालेधन के 15 लाख रूपये से लेकर महिला सुरक्षा जैसे पूरे नहीं हुए वादे की बात उठा पीएम का नाम लिये बिना ही प्रियंका लोगों के बीच यह संदेश पहुंचाती नजर आयीं कि उनका निशाना कहां है।

फिजुल के मुददों से रहेंगी दूर
लोकसभा चुनाव 2019 की राजनीतिक बहस (नैरेटिव) को जन मुद्दों के अखाड़े से बाहर ले जाने की भाजपा की रणनीति को किसी सूरत में कामयाब नहीं होने देने की प्रतिबद्धता कांग्रेस कार्यसमिति के प्रस्ताव में जताई गई। अहमदाबाद में कार्यसमिति की बैठक के तुरंत बाद गांधीनगर की रैली में प्रियंका ने इस पर अमल की शुरूआत कर दी। इस संदर्भ में उन्होंने जनता से साफ कहा कि चुनाव में आप अपना भविष्य चुनने जा रहे हैं। इसीलिए चुनावी बहस फिजुल के मुददों पर नहीं बल्कि आमलोगों की जिंदगी बेहतर बनाने वाले मुद्दों पर होनी चाहिए।

हालांकि प्रियंका ने संकेतों में यह माना भी कि बहस को असल मुद्दों की पटरी पर लाने की चुनौती चुनाव के दौरान अगले दो महीने आसान नहीं होगी। तमाम ऐसे मुद्दे उछाले जाएंगे जिससे बहस की दिशा भटकायी जा सके। शायद इसीलिए उन्होंने जनता को जागरूकता के जरिये ही अपनी देशभक्ति प्रकट करने पर जोर देने की बात कही।

केवल जोशीले नारे ही राष्ट्रवाद नहीं
प्रियंका ने दो टूक यह संदेश देने का प्रयास किया है कि केवल जोशीले नारे ही राष्ट्रवाद नहीं बल्कि सोच-समझकर सही वोट का फैसला भी कतई कम राष्ट्रवाद नहीं है। बहरहाल प्रियंका के इस अंदाजे बयां को कांग्रेस जमीन पर कितनी दूर तक ले जाएगी इसकी तस्वीर आने वाले दिनों में ही साफ होगी। सियासी बहस को मुद्दों के ट्रैक पर लाने की कांग्रेस की कामयाबी भी इसी अनुपात पर निर्भर करेगी।

अब भी केवल 7 लोगों को कर रहीं फॉलो
कांग्रेस महासचिव बनाए जाने के बाद से प्रियंका गांधी वाड्रा सक्रिय हैं और अब वे ट्विटर पर भी हैं। उनके 2.38 लाख फॉलोअर्स हो चुके हैं। सबसे खास बात यह है कि वे केवल 7 लोगों को फॉलो कर रही हैं। प्रियंका जिन सात लोगों को फॉलो कर रही हैं, वे सभी कांग्रेस से जुड़े नेता या ट्विटर अकाउंट हैं।

इनमें उनके भाई और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, सचिन पायलट, अशोक गहलोत, अहमद पटेल, रणदीप सुरजेवाला और ज्योतिरादित्य सिंधिया को फॉलो किया है। कांग्रेस पार्टी के अकाउंट को भी उन्होंने फॉलो किया है। प्रियंका को यूपी में बड़ी जिम्मेदारी दी गई है और सोमवार को लखनऊ में उनका बड़ा रोड शो भी है, लेकिन उन्होंने अब तक यूपी के किसी बडे़ नेता को फॉलो नहीं किया है।