मोदी सरकार की अग्नि परीक्षा आज, संसद में TDP पेश करेगी अविश्वास प्रस्ताव

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2014 में पूरे बहुमत के साथ सत्ता में आने वाली मोदी सरकार अपने कार्यकाल के लगभग 4 साल पूरे करने के बाद आज अपनी पहली अग्नि परीक्षा का सामना संसद में करेगी । शुक्रवार को कांग्रेस और वाईएस आर ने मिलकर मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का नोटिस दिया था ,लेकिन यह लोकसभा स्पीकर तय करेंगी कि उसको स्वीकार करना है या नहीं क्योंकि जब शुक्रवार को नोटिस पेश किया गया था तो लोकसभा अध्यक्ष ने कहा था कि सदन में इस समय ‘अव्यवस्था’ (कार्यवाही में गतिरोध) है, इसलिए इसको स्वीकार नहीं किया जा रहा है। जबकि मोदी सरकार में सहयोगी रही चन्द्रबाबू नायडू की पार्टी TDP ने सोमवार को लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया। केन्द्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की मूल वजह आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर राज्य की सत्ता में काबिज होने के लिए TDP और विपक्षी दल YSR कांग्रेस के बीच होड़ चल रही है ।

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लोकसभा में पार्टियों का नंबर प्लान

लोकसभा में बीजेपी के पास 274 सांसद हैं. वहीं कांग्रेस के 48, एआईएडीएमके के 37, टीएमसी के 34, बीजेडी के 20, शिवसेना के 18, टीडीपी के 16, टीआरएस के 11, सीपीएम के 9, वाईएसआर कांग्रेस के 9, समाजवादी पार्टी के 7, इनके अलावा 25 अन्य पार्टियों के 56 सांसद है. लोकसभा में 5 सीटें खाली हैं. ऐसे में टीडीपी के एनडीए से बाहर आने के बाद भी शिवसेना, एलजेपी (6), अपना दल (2), आरएलएसपी (3) , जेडीयू (2) और अकाली (4) जैसे दलों का समर्थन सरकार को हासिल है।

आपको बता दें कि दोनों पार्टियां अपने-अपने नोटिसों पर समर्थन जुटाने के लिए विपक्षी दलों को लामबंद कर रही हैं। अविश्वास प्रस्ताव नोटिस के लिए सदन में कम से कम 50 सदस्यों का समर्थन होना जरूरी है । लोकसभा में मौजूदा सदस्यों की संख्या 539 है और सत्तारूढ़ भाजपा के 274 सदस्य हैं. यह बहुमत से अधिक है और पार्टी को कई घटक दलों का समर्थन भी है

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अगर शिवसेना भी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर वोट करती है तो भी मोदी सरकार पर कोई असर पड़ने वाला नहीं है.बजट सत्र के अंतिम चरण का पहला दो हफ्ता बीत चुका है हालांकि सरकार कई महत्वपूर्ण विधेयक लाने और बिना चर्चा के ध्वनिमत के जरिए बजट पारित कराने में कामयाब रही ।
जबकि अपनी अग्नि परीक्षा पर बोलते हुए, सरकार ने भरोसा जताया है कि नोटिस स्वीकार हो जाने पर भी लोकसभा में उसकी संख्या कम होने की वजह से प्रस्ताव औंधे मुंह गिर जाएगा।

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अविश्वास प्रस्ताव से पहले भी गिरी सरकारें

पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई की सरकार के 1978 में लाए गए अविश्वास प्रस्ताव की वजह से गिर गई थी. हालांकि देसाई सरकार के खिलाफ 2 अविश्वास प्रस्ताव रखे गए थे, पहले प्रस्ताव से सरकार को कोई दिक्कत नहीं हुई, लेकिन दूसरे प्रस्ताव के वक्त घटक दलों ने साथ नहीं दिया था।

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संसद के इतिहास में सबसे ज्यादा अविश्वास प्रस्ताव इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ पेश किए गए. उनकी सरकार को ऐसे 15 प्रस्तावों का सामना करना पड़ा था. इस क्रम में लाल बहादुर शास्त्री और नरसिम्हा राव की सरकारों ने 3-3 बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना किया था।

अविश्वास प्रस्ताव पेश करने का रिकॉर्ड सीपीएम के सांसद ज्योतिर्मय बसु के नाम है. इंदिरा सरकार के खिलाफ उन्होंने 4 अविश्वास प्रस्ताव रखे थे.

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