मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों के साथ मिलकर मिर्जापुर में ये क्या कर दिया ?

 

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भारत की चार दिवसीय यात्रा के अंतिम दिन फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों निर्धारित कार्यक्रम के मुताबकि लगभग पौने 11 बजे प्रचीन धार्मिक एवं सांस्कृतिक नगरी वाराणसी पहुंचे, जहां हवाई अड्डे पर उनका गर्मशोजी से स्वागत किया गया। मैक्रों और उनकी धर्मपत्नी ब्रिजिट मैक्रों के बाबतपुर के लालबहादुर शास्त्री इंटरनेशल हवाई अड्डे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगवानी की। पीएम मोदी अपने खास अंदाज में मैक्रों से गले मिले और कुछ देर तक एक दूसरे का हाथ थामे रहें।

 

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सोमवार को संयुक्त रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने मिर्जापुर के दादर कला गांव में फ्रांस की मदद से बनाए जा रहे 75 मेगावाट के सोलर एनर्जी प्लांट का लोकार्पण किया। इसके बाद पीएम मोदी इन योजनाओं का भी करेंगे शुभारंभ …

650 करोड़- मिर्जापुर में पावर प्लांट
80 लाख शास्त्री आवास और म्यूजियम
3 करोड़ -कल्लीपुर में नलकूप और पानी टंकी -गांव में पानी कनेक्शन दिया जाएगा
3.42 करोड़- राजा तालाब तहसील का नया भवन

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मोदी और मैक्रों देखेंगे हाथ से चलने वाली लिफ्ट देखेंगे

आपको बता दें कि इस दौरे पर दोनों नेता भारत की पहली अनोखी हैंड लिफ्ट भी देखेंगे। इसके साथ ही दोनों नेता सोलर एनर्जी, एजुकेशन, कल्चर, गंगा घाटों के विकास, हेरिटेज बिल्डिंगों पर भी बातचीत करेंगे।

BHU के प्रोफेसर आर श्रीवास्तव ने हैंडलिफ्ट बनने के इतिहास के बारे बताते हुए कहा , नागपुर के राजा मुंशी श्रीधर ने 1812 में महल को बनाया गया था। 1920 में इसको दरभंगा नरेश कामेश्वर नाथ ने खरीद लिया और नाम दरभंगा पैलेस रख दिया। उस समय रानी और राजमाता के गंगा स्नान के लिए महल के पिछले हिस्से से निकलती थीं। दासियां गलियों, सीढ़ियों और घाट पर साड़ियों से घेरा बना देती थी। बाद में नरेश कामेश्वर नाथ ने लकड़ी और लोहे के चक्र पर चलने वाली पहली हैंडलिफ्ट को दरभंगा महल में लगवाया।
रानी और राजमाता को आम जनता न देख पाए इसलिये नरेश कामेश्वर नाथ ने 70 फीट ऊंचे दरभंगा महल के बाहरी हिस्से की मीनार में हाथ से चलने वाली लिफ्ट बनवाई। 35 साल पहले इस पैलेस को स्वर्गीय बृज लाल दास ने खरीद लिया और होटल में तब्दील कर दिया। पुरानी लिफ्ट को ठीक कराने की काफी कोशिशें की गईं, लेकिन बाद में इसमें इलेक्ट्रिकल लिफ्ट लगवानी पड़ा।
पैलेस के जर्जर हिस्सों को ठीक करने और ओल्ड लुक देने में 12 साल लग गए। दिल्ली, जयपुर, साउथ, कोलकाता, बिहार के दर्जनों इंजीनियरों और मजदूरों ने काम करके 1812 और उसके बाद 1920 में कराये गए नक्काशियों में जान डाली। होटल में 32 कमरे हैं।

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ट्रेड फैसिलिटी म्यूजियम का भी करेंगे दौरा

पीएम मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति बड़ालालपुर में बने बुनकरों, शिल्पियों के लिए ट्रेड फैसिलिटी सेंटर के म्यूजियम देखने जाएंगे। 305 करोड़ की लागत और 43445 स्कवायर मीटर बने में इस सेंटर का इनॉग्रेशन पीएम मोदी ने सितंबर 2017 में किया था। म्यूजियम के दोनों वस्त्र, कार्पेट, क्राफ्ट, समेत कई पुरानी चीजों को देखेंगे। म्यूजियम के मैनेजर रोशन कुमार के मुताबिक, बनारसी कपड़ा महाभारत और रामायण के समय भी बनता था, जिसे पीताम्बर कहा जाता था। बौद्धकाल में यहां के कपड़ों को कासिया कहा गया। गौतम बुद्ध भी यहीं के वस्त्र पहनते थे।

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क्यों खास है ये दौरा

इंटरनेशनल पॉलिटिक्स में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रो पीएम मोदी के काशी विजिट को लेकर चर्चा है। जापान और फ्रांसीसी राष्ट्राध्यक्षों की विजिट से दुनिया के दूसरे देशों के पीएम, राष्ट्रपति भी वाराणसी आना चाहेंगे। इसके साथ  ही पीएम मोदी  यहां की संस्कृति, गंगा, घाट, मंदिरों वाला लघु भारत एक ही बार में बताना चाहते है ।

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‘पूरी दुनिया जब टेरोरिज्म से जूझ रही है, ऐसे में पीएम मोदी दुनिया को संदेश देना चाहते है कि बनारस विश्व शांति का केंद्र है। जहां स्वामी विवेकानंद, शंकराचार्य, रविदास, बुद्ध जैसे संत महात्मा भी इसी तलाश में आये थे।’

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‘वर्ल्ड हेरिटेज सिटी का सपना तभी पूरा होगा। जब काशी के गलियों, उद्योग, संस्कृति, रहन-सहन, मंदिरों और 84 घाटों की चर्चा राष्ट्राध्यक्षों के जरिये कई देशों में होगी।

ग्राउंड पॉलिटिक्स के जरिये पाकिस्तान, चीन जैसे देशों को संदेश देना कि दिल्ली, मुंबई ही नहीं बल्कि भारत के काशी जैसे स्थान भी महत्वपूर्ण हैं।

एनर्जी प्लांट के उद्घाटन से भारत पूरे विश्व संदेश देगा कि एनर्जी, इन्वायरमेंट, इम्प्लॉयमेंट, इन्वेस्टमेंट के साथ टूरिज्म को लेकर बड़ा काम कर रहा है।

 

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