वाणिज्‍य मंत्रालय भारतीय निर्यात को और ज्‍यादा प्रतिस्‍पर्धी बनाने की रणनीति तैयार कर रहा है : श्री सुरेश प्रभु

वित्‍त वर्ष 2017-18 में भारतीय निर्यात में 9.8 प्रतिशत का इजाफा हुआ, जो पिछले छह वर्षों की सर्वाधिक वृद्धि दर है। भारत से होने वाले निर्यात में धनात्‍मक वृद्धि ऐसे समय में दर्ज की गई है, जब विश्‍व स्‍तर पर इस दृष्टि से प्रतिकूल माहौल देखा जा रहा है। यह बात केन्‍द्रीय वाणिज्‍य एवं उद्योग और नागरिक उड्डयन मंत्री श्री सुरेश प्रभु ने आज नई दिल्‍ली में आयोजित ‘निर्यात शिखर सम्‍मेलन 2018’ में कही, जिसका आयोजन भारतीय उद्योग परिसंघ ने किया। श्री प्रभु ने कहा कि वाणिज्‍य मंत्रालय भारत से होने वाले निर्यात में नई जान फूंकने के लिए एक विशिष्‍ट रणनीति पर काम कर रहा है। वाणिज्‍य मंत्रालय इसके तहत क्षेत्रवार, जिंस एंव क्षेत्र विशिष्‍ट निर्यात रणनीति तैयार करने के लिए निर्यात से जुड़े महत्‍वपूर्ण मंत्रालयों के साथ मिलकर काम कर रहा है। उन्‍होंने कहा कि संबंधित मंत्रालयों के साथ बैठकें पहले ही हो चुकी हैं। इस दौरान विभिन्‍न मंत्रालयों और हितधारकों के साथ सलाह-मशविरा किया गया। इसके बाद सेक्‍टर-वार, जिंस-वार और क्षेत्र-वार विशिष्‍ट कदमों की रूपरेखा तैयार की गई है।

श्री सुरेश प्रभु ने कहा कि वह व्‍यक्तिगत तौर पर इस पर अपनी नजरें जमाए हुए हैं और विभिन्‍न क्षेत्रों (सेक्‍टर) से जुड़े मंत्रालयों, निर्यात संवर्धन परिषदों और निर्यातकों के साथ नियमित तौर पर बैठकें हो रही हैं। उन्‍होंने कहा कि निर्यात की वृद्धि दर को प्रभावित करने वाले कुछ विशेष मुद्दों को राजस्‍व विभाग और पर्यावरण मंत्रालय के समक्ष उठाया गया है।

वाणिज्‍य मंत्री ने कहा कि जल्‍द ही पेश की जाने वाली कृषि निर्यात नीति से कृषि क्षेत्र को काफी बढ़ावा मिलेगा और इसके साथ ही किसानों की आय दोगुनी करने का मार्ग प्रशस्‍त होगा।

भारत 600 एमटी कृषि उपज का उत्‍पादन करता है और वह पूरी दुनिया को अपना अधिशेष उत्‍पादन का निर्यात करने में सक्षम है।

विदेश व्‍यापार महानिदेशक (डीजीएफटी) श्री आलोक वर्धन चतुर्वेदी ने निर्यातकों के लिए विभिन्‍न प्रकियाओं को सरल बनाने के उद्देश्‍य से वाणिज्‍य मंत्रालय द्वारा हाल ही में उठाए गए विभिन्‍न कदमों का उल्‍लेख किया। उन्‍होंने कहा कि अब ज्‍यादातर प्रक्रियाएं ऑनलाइन हो गई हैं और संबंधित दस्‍तावेजों की हार्ड कॉपी पेश करने की जरूरत नहीं पड़ती है। श्री चतुर्वेदी ने कहा कि डीजीएफटी निर्यात संबंधी ऑनलाइन पाठ्यक्रम शुरू करने पर भी विचार कर रहा है, ताकि पहली बार निर्यात क्षेत्र में उतर रहे लोगों को समुचित जानकारियां देने के साथ-साथ उन्‍हें प्रशिक्षित किया जा सके और इसके साथ ही उन्‍हें पर्याप्‍त सहूलियतें भी दी जा सकें। इसके अलावा, डीजीएफटी के सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नेटवर्क में व्‍यापक फेरबदल करने की प्रक्रिया भी जारी है, ताकि संबंधित दस्‍तावेजों को ऑनलाइन प्रस्‍तुत करने में समय की बर्बादी न हो।

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