लखनऊ : गरीबों का गेहूं कोटेदारों से खरीद कर बांग्लादेश बेचने का मामला

गरीबों का गेहूं कोटेदारों से खरीद कर बांग्लादेश बेचने का मामला

अनाज घोटाले में 13 साल बाद EOW ने 44 पर मुकदमा दर्ज किया

गेहूूं को अवैध रूप से बेच कर सरकार को 1,43,64,769.90 रुपये का चूना लगाया गया

अलग-अलग फर्मों के डायरेक्टर और अफसर समेत
44 लोग नामजद

27 फरवरी 2006 को घोटाले की जांच EOW को सौंपने की सिफारिश की गई थी

अनाज की कालाबाजारी का खेल 29 सितंबर 2004 से 21 जनवरी 2005 के बीच हुआ था

किसान से गेहूं खरीदने का दावा जांच में झूठा निकला

बिचौलिया हनुमान प्रसाद ओझा और सहयोगियों ने 40 फर्मों के जरिए खरीद की

किसानों से गेहूं खरीदने के बजाय कोटेदारों से 19167.87 क्विंटल सस्ता गेहूं खरीदा गया

कानपुर नगर, कानपुर देहात, फतेहपुर, उन्नाव, बांदा, हमीरपुर, कौशांबी और कन्नौज फर्जीवाड़ा

गेहूं कानपुर रेलवे स्टेशन के गोदाम से लोड कर बांग्लादेश में बेंच दिया गया

तत्कालीन झांसी के कमिश्नर शंकर लाल अग्रवाल ने जांच के आदेश दिए थे

मोटरसाइकिल स्कूटर और जीप के नंबर को ट्रक का नंबर बताकर कागज में की गई थी गेहूं की ढुलाई

ईओडब्ल्यू ने बिचौलिया हनुमान प्रसाद ओझा, भंवरलाल ओझा, राजेश अग्रवाल नंदलाल सारस्वत समेत 44 पर दर्ज किया था मुकदमा

ईओडब्ल्यू की जांच में खाद्यान्न विभाग के कई गोदाम प्रभारी भी पाए गए दोषी

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