क्या आम सहमति से होगा राममंदिर का फैसला, मौलाना नदवी ने दिए संकेत

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राम जन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार से शुरू हुई सुनवाई के  बीच राममंदिर विवाद को सुलझाने के लिए बेंगलुरु में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर से मुलाकात करने पहुंचे। इस दौरान मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कार्यकारी सदस्य मौलाना सैयद सलमान हुसैन नदवी ने एक बड़ा बयान देते हुए कहा, अयोध्या में मस्जिद को शिफ्ट किया जा सकता है।

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इस बैठक के दौरान मौलाना नदवी ने कहा कि हम जगह बदलकर शान से मस्जिद बनाएंगे। हम लोग मिल-जुलकर रहेंगे और अपने मसले हल करेंगे। बैठक में इस बात पर सहमति जताई गई कि शांति से हल के लिए अयोध्या विवाद पर सहमति जरूरी है। इस बैठक में शिया और सुन्नी समुदाय के कई सदस्य भी मौजूद थे। इस मुद्दे पर अब अगली मीटिंग मार्च में अयोध्या में होगी।

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यह बयान गैर जिम्मेदाराना है- AIMPLB

जबकि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मौलाना नदवी के इस बयान पर नाराजगी जताई है । बोर्ड के सदस्य कमाल फारूकी ने जी न्यूज से कहा कि यह बयान गैर जिम्मेदाराना है। हमने किसी को अधिकृत नहीं किया है कि वो बोर्ड की तरफ से समझौते पर कोई भी बात करें। यह उनका निजी बयान है उनका बयान हमारा नहीं है। इस तरह के गैर जिम्मेदारना बयान देने की जरूरत नहीं है। बोर्ड इसे बहुत गंभीरता से ले रहा है।

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अयोध्या विवाद पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई

गौरतलब है कि राजनीतिक रूप से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन मालिकाना विवाद मामले से जुड़ी कई याचिकाओं पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को दस्तावेज तैयार करने के लिए दो हफ्ते का वक्त दिया और मामले की अगली सुनवाई 14 मार्च को तय की ।

SC- ये भावनात्मक मुद्दा नहीं, भूमि विवाद है

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच में पहले दस्तावेजों के बारे में चर्चा हुई। बेंच ने कहा कि पहले मुख्य पक्षकारों को ही सुना जाएगा। वहीं, चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि इस मामले को सिर्फ भूमि विवाद की तरह ही देखा जाए। याचिकाकर्ता ने कहा कि यह 100 करोड़ हिंदूओं की भावओं का मामला है ।इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, ये भावनात्मक मुद्दा नहीं, भूमि विवाद है। मामले की सुनवाई से पहले सभी पक्षों ने कोर्ट में दस्‍तावेज सौंप दिए थे ।इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि राजनीतिक और भावनात्मक दलीलें नहीं सुनी जाएंगी।यूपी सरकार ने कहा था कि हमने 504 दस्तावेज जमा किए हैं ।

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