शांति और अहिंसा की आवाज  है भारत : उपराष्‍ट्रपति

उपराष्‍ट्रपति ने पेरिस में भारतीय समुदाय के अभिनंदन समारोह को संबोधित करते हुए उनसे अपनी जड़ों के साथ गहरे जुड़ने और भारत की विकास प्रक्रिया में भागीदार बनने का आह्वान कि‍या और कहा कि प्रगति केवल संवाद और आपसी समझ से ही हासिल की जा सकती है।

उपराष्‍ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि भारत अनंत काल से  शांति और अहिंसा की एक सशक्‍त आवाज रहा है। वे कल फ्रांस की राजधानी पेरिस में भारतीय समुदाय द्वारा यूनेस्‍को में आयोजित अभि‍नंदन समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर फ्रांस में भारत के राजदूत श्री विनय मोहन क्‍वात्रा और अन्‍य गणमान्‍य लोग भी उपस्थित थे।उपराष्‍ट्रपति ने शांति को प्रगति की एक मात्र शर्त बताते हुए कहा कि‍ आज के परस्‍पर निर्भर विश्‍व में प्रगति केवल संवाद और आपसी समझ से ही हासिल की जा सकती है.

उन्‍होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी, उद्योग, कृषि, कला, संस्‍कृति, शासन या राजनीति के क्षेत्र में भारतीय समुदाय के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि‍ उनका यह योगदान और सफलता फ्रांस के साथ ही उनके अपने देश भारत के लिए भी गर्व की बात है।

भारतीय समुदाय की उपल‍ब्धियों पर भारत को गर्व होने का जिक्र करते हुए श्री नायडू ने कहा कि इन लोगों के साथ संवाद करना आपस में गहरे जुड़े परिवार के साथ संवाद करने जैसा है। उन्‍होंने कहा कि विदेशों में रह रहे भारतीय मूल के लोगों ने फ्रांस के जनजीवन से जुडें कइ क्षेत्रों मे उत्‍कृष्‍टता हासिल की है। इनमें से कई फ्रांस और यूरोपीय संसद में सांसद भी हैं।

उपस्थित लोगों को फ्रांस के साथ भारत के दीर्घकालीन और परस्‍पर समृद्ध सहयोग की याद दिलाते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि रवींद्रनाथ टैगोर के विचारों से कई फ्रांसीसी विचारकों प्रभावित हुए थे। उन्होंने कहा कि मैडमभीकाजी कामा और जेआरडी टाटा जैसे भारतीय इतिहास की दिग्गज हस्तियों के भी फ्रांस के साथ घनिष्‍ठ संबंध रहे थे।

सरकार के साहसिक सुधारों के एजेंडे से देश के अकादमिक परिदृश्य में बड़े बदलाव का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत की विकास यात्रा आशाओं और नए बदलावों से गुजर रही है। यह ऐसे समय में हो रहा है जबकि इस क्षेत्र के कुछ हिस्सों सहित बाकी दुनिया मंदी का सामना कर रही है।

उन्होंने कहा कि माल और सेवा कर का लागू किया जाना निर्बाध और कुशल राष्ट्रीय बाजार की दिशा में एक बड़ाकदम था। इससे भारत में व्यवसाय स्थापित करने और उसे बढ़ाने में आसानी होगी।

श्री नायडू ने भारतीय समुदाय से न्यू इंडिया के निर्माण में सक्रिय भागीदार बनने का आह्वान किया और उनसे  भारत में निवेश और नवाचार के लिए उपयुक्त अवसरों का लाभ उठाने को कहा। उन्होंने कहा कि भारतीय समुदाय के लिए सक्रिय रूप से अपनी जड़ों से जुड़ने का भी यह सही समय है।

उपराष्‍ट्रपति ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के माध्यम से स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए भारत और फ्रांस केसंयुक्त प्रयासों के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि विकास में भारत और फ्रांस की साझेदारी  दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं, विशेष रूप से स्मार्ट शहरीकरण और परिवहन के क्षेत्र में बहुत लाभकारी साबित हुयी है।

इससे पहले उपराष्ट्रपति ने यूनेस्को की महानिदेशक सुश्री ऑड्रे अज़ौले के साथ बातचीत की और उन्हें 2030 के सततविकास  एजेंडे को हासिल करने के भारत के प्रयासों के बारे में जानकारी दी। उन्‍होंने इस सदर्भ में शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों का विशेष रूप से जिक्र किया। उन्‍होंने इस अवसरपर शिक्षा तक पहुंच को आसान बनाने के लिए सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों के उपयोग, शिक्षण प्रक्रिया और शिक्षक विकास कार्यक्रमों की गुणवत्ता में वृद्धि,शैक्षणिक योजना और प्रबंधन को सुदृढ़ करने और निगरानी प्रणाली में सुधारों पर भी चर्चा की।

उपराष्‍ट्रपति प्रथम‍ विश्‍व युद्ध की समाप्ति के शताब्‍दी वर्ष समारोह में हिस्‍सा लेने के लिए फ्रांस में हैं। वह इस अवसर पर आर्क द ट्रिंफ पर आयोजित एक वैश्विक कार्यक्रम में भी शामिल होंगे और प्रथम विश्‍व युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।

श्री नायडू विलर्स गुसलेन में भारतीय सशस्‍त्र बलों के एक स्‍मार‍क का भी उद्घाटन करेंगे। यह स्‍मारक उन हजारों भारतीय सैनिकों की याद में बनाया गया है जिन्‍होंने प्रथम विश्‍व युद्ध में शहादत दी थी।

उपराष्‍ट्रपति की यह यात्रा इस मायने में भी अहम है कि वह ऐसे समय हो रही है जब इस साल भारत और फ्रांस अपनी रणनीतिक साझेदारी के दो दशक पूरे कर रहे हैं।

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