हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की याद में किया मुशायरा !
हर साल की तरह इस साल भी सोसायटी के मुख्य कार्यालय ऐवाने नियाज़ी ख्वाजा कुतुब बरेली में नवासा-ए-रसूल सय्यदुश्शोहदा शहीदे करबला हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की याद में मनकबती मुशायरा डॉ० कमाल मियाँ नियाज़ी की कयादत व सदारत मेंआयोजित हुआ !
वही महमाने खुसूसी में दरगाह ख्वाजा गरीब नवाज़ के गद्दीनशीन सय्यद असद मियाँ नियाज़ी ने शिरकत की और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के स्कूल ए०बी०के० के प्रिसिपल डॉ० अब्बास मियां नियाज़ी ने भी शिरकत की जो अभी करबला शरीफ इराक मे इमाम हुसैन (अ०स०) की सीरत काँफ्रेस में बहैसियत स्कॉलर शिरकत फरमाकर आये है जो उनका इस प्रोग्राम में आने पर फैजान-ए-नियाज़िया वेलफेयर सोसायटी व खानदान-ए-नियाज़िया उनका इस्तकबाल बड़ी जोश के साथ किया ! भारी संख्या में लोगां ने इस नूरानी महफिल में भाग लिया। हर ज़ुबान या हुसैन कह रही थी। हर आँख अश्कबार थी। मुशायरे से पहले बानि-ए-महफिल डॉ० कमाल मियां नियाज़ी ने सदारती खुतबा दिया जिसमें उन्होने आवाम को खिताब करते हुए कहा कि हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम किसी एक कौम के इमाम नही है बल्कि हर मज़हबों मिल्लत के इमाम हैं। जिस शख्स का ज़मीर जिन्दा होता है उस शख्स का इमाम रहबर हुसैन है। आखिर में उन्होने सीरते हुसैन पर चलने का पैगाम दिया अपनी बात को ज़ोर देते हुए कहा कि हर इंसान पर इमाम हुसैन की मुहब्बत फर्ज़ है। क्योकि रसूलअल्लाह (स०अ०व०) की हदीस है कि जिसने हुसैन से मुहब्बत की उसने मुझसे मुहब्बत की और जिसने मुझसे मुहब्बत की अल्लाह उससे मुहब्बत करता है। मुशायरे की निज़ामत फहमी बरेलवी ने की मुशायरे का आगाज़ तिलावते कुरआने पाक हाफिज सज़ीद नियाज़ी ने किया। खानकाहे नियाज़िया के खानवादे कासिम मियां नियाज़ी ने उस्तादाना कलमा पेश करते हुए पढ़ा शेर :- करते न गर हुसैन शहादत का फैसला। आता न हक से बख्शिशे उम्मत का फैसला।। ज़ाहिद मियां नियाज़ी ने जज़्बाती कलाम पेश किया। शरे – ऐन ईमान है हसनैन से उलफत करना। कुफ्र है आले मुहम्मद से बगावत करना।। मुशायरे की निज़ामत कर रहे फहमी बरेलवी ने पढ़ा शेर- ऐ हुसैन इब्ने अली तेरी शुजाअत को सलाम। तेरे इन्कार ने बैयत का गला काट दिया।। राज़ी मियां नियाज़ी ने ख्वाजा गरीब की निसबत से पढ़ा। शेर :- कब्र करती है हुकूमत आशिके शब्बीर की। हाँ यही कहना पढा ख्वाजा की तुरबत देख कर।। जामी मियां नियाज़ी ने पढ़ा। शेरः- ताजिये के साथ है लोगो मुहम्मद मुस्तफा फिर तो है काबे का काबा ताज़िया शब्बीर का इसके अलावा अम्मार मियां, कायम मियां, जैन मियां, गाज़ी मियां, हस्सान मियां, मुताहिर मियां, मुत्तकी मियां, फखरी मियां, मुबारक नियाजी, आदि ने कलाम पेश किये। फैज़ाने नियाज़िया वेलफेयर सोसायटी के सदर जनाब हमज़ा मियां नियाज़ी ने गरीब नवाज़ के आस्ताने के साहबज़ादे सय्यद असद मियां का खैरमकदम किया। सलातो सलाम के बाद मुल्क व कौम के लिए दुआ हुई। डॉ० कमाल मियां नियाज़ी ने सभी शायरो ंको ईनाम से नवाज़ा। मुशायरा देर रात तक चलता रहा इसकी जानकारी फैज़ाने नियाजिया वेल्फेयर सोसायटी के उपाध्यक्ष सैय्यद यावर अली नियाज़ी ने दी।
भवदीय सैय्यद यावर अली नियाजी