हज़रत मौला अली कॉन्फ्रेंस में उमड़े अकीदतमंद

बरेली : हज सेवा समिति के तत्वाधान में हाजी फैज़ान खाँ क़ादरी के इंटर कालेज ठिरिया निजावत खाँ में कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया,हज़रत अली के प्रोग्राम में सभी धर्मों के लोगों ने शिक़्क़त की। इस मौके बरेली हज सेवा समिति के संस्थापक पम्मी खाँ वारसी ने हज़रत मौला अली ने हक़ और हक़ीक़त का रास्ता बताया हैं हज़रत अली ने फरमाया हैं कि अगर इन बातो पे आप चले तो दुनिया की कोई ताक़त आपको क़ामयाब होने से नही रोक सकती,इन्सान का अपने दुश्मन से इन्तकाम का सबसे अच्छा तरीका ये है कि वो अपनी खूबियों में इज़ाफा कर दे,रिज्क के पीछे अपना इमान कभी खराब मत करो” क्योंकि नसीब का रीज़क इन्सान को ऐसे तलाश करता है जैसे मरने वाले को मौत,गरीब वो है जिसका कोई दोस्त न हो,जो इनसान सजदो मे रोता है। उसे तक़दीर पर रोना नहीं पड़ता,कभी तुम दुसरों के लिए दिल से दुआँ मांग कर देखो तुम्हें अपने लिए मांगने की जरूरत नहीं पड़ेगी,किसी की बेबसी पे मत हंसो ये वक़्त तुम पे भी आ सकता है,किसी की आँख तुम्हारी वजह से नम न हो क्योंकि तुम्हे उसके हर इक आंसू का क़र्ज़ चुकाना होगा,जिसको तुमसे सच्ची मोहब्बत होगी, वह तुमको बेकार और नाजायज़ कामों से रोकेगा,किसी का ऐब (बुराई) तलाश करने वाले मिसाल उस मक्खी के जैसी है जो सारा खूबसूरत जिस्म छोड सिर्फ़ ज़ख्म पर बैठती है,इल्म की वजह से दोस्तों में इज़ाफ़ा (बढ़ोतरी) होता है दौलत की वजह से दुशमनों में इज़ाफ़ा होता है,सब्र को ईमान से वो ही निस्बत है जो सिर को जिस्म से है.दौलत, हुक़ूमत और मुसीबत में आदमी के अक्ल का इम्तेहान होता है कि आदमी सब्र करता है या गलत क़दम उठता है.सब्र एक ऐसी सवारी है जो सवार को अभी गिरने नहीं देती।ऐसा बहुत कम होता है के जल्दबाज़ नुकसान न उठाये , और ऐसा हो ही नही सकता के सब्र करने वाला नाक़ाम हो.सब्र – इमान की बुनियाद, सखावत (दरियादिली) इन्सान की खूबसूरती, सच्चाई हक की ज़बान, नर्मी कमियाबी की कुंजी,

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