सेन्सर बोर्ड निर्माताओं के हाथ का खिलौना; आपत्तिजनक दृश्य हटाए नहीं गए, तो फिल्म के विरुद्ध आंदोलन करेंगे ! -जनजागृति समिति

आगामी हिन्दी चलचित्र दबंग 3में एक गाने के दृश्य में हिन्दू साधुओं को अश्‍लील पद्धति से नाचते हुए और गिटार बजाते हुए दिखाया गया है ।

गाने पर ठेका पकडते हुए अपनी जटाओं को झटकते दिखाया है, साथ ही गाने में भगवान श्रीकृष्ण, श्रीराम और शिवजी का वेश धारण किए व्यक्तियों को सलमान खान को आशीर्वाद देते हुए भी दिखाया गया है । ये दृश्य अत्यंत निंदनीय और हिन्दुओं की आस्था के केंद्रों का अनादर करनेवाले हैं । अतः इन आपत्तिजनक दृश्यों को हटा देना चाहिए । इसके लिए हमने सेन्सर बोर्ड को ज्ञापन प्रस्तुत किया है; परंतु सेन्सर बोर्ड सदैव ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कला की स्वतंत्रता के नाम पर संकीर्ण भूमिका अपनाता है । आज का सेन्सर बोर्ड फिल्म निर्माताओं के हाथ का खिलौना बन चुका है । इसलिए ऐसी स्थिति नहीं है कि वह इस संदर्भ में कुछ करेगा । इसलिए हमने इस फिल्म के विरुद्ध धारा 295 अ के अनुसार धार्मिक भावना आहत किए जाने के प्रकरण में पुलिस थाने में परिवाद प्रविष्ट किया है । हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. पराग गोखले ने यह चेतावनी दी है कि निर्माता अथवा सेन्सर बोर्ड ने यदि हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करनेवाले इन आपत्तिजनक दृश्यों को नहीं हटाया, तो हिन्दू समाज सडक पर उतरकर आंदोलन करेगा ।

पुणे के डेक्कन पुलिस थाने में प्रविष्ट किए परिवाद में सलमान खान फिल्म्स, अरबाज खान प्रोडक्शन्स, निर्माता सलमान खान, अरबाज खान, निखिल द्विवेदी और निर्देशक प्रभुदेवा के विरुद्ध भारतीय आपराधिक संहिता 295 अके अनुसार भावनाओं की धार्मिक भावनाओं को आहत किए जाने के प्रकरण में प्राथमिकी (एफआईआर) प्रविष्ट करने की मांग की गई है । इस समय पुलिस अधिकारियों ने श्री. समिति के श्री. पराग गोखले और अधिवक्ता सत्येंद्र मुळे के साथ विस्तृत चर्चा की ।

इस अवसर पर श्री. पराग गोखले ने यह भी बताया कि आजकल फिल्म जगत में कोई अच्छी पटकथा और अच्छा चित्रण कर फिल्म नहीं बनाई जाती, अपितु फिल्म में जानबूझकर विवादास्पद प्रसंग दिखाकर, फिल्म को पहले ही प्रसिद्धि दिलाने की एक परंपरा सी बन गई है । कोई भी आता है और हिन्दू देवी-देवता, साधु-संत आदि का उपहास करता है । मुल्ला-मौलवी और फादर-बिशप के संदर्भ में ऐसा चित्रण करने का कोई साहस नहीं दिखाता; इसलिए कि वे भली-भांति जानते हैं कि उसके दुष्परिणाम क्या होंगे । हमारी यह भूमिका है कि फिल्म के माध्यम से किसी की भी धार्मिक भावनाएं आहत न हों । धार्मिक भावनाएं आहत करनेवाला कोई चित्रण न हो; इसके लिए कानून बनाने की, साथ ही सेन्सर बोर्ड में भी धार्मिक क्षेत्र के जानकार व्यक्ति की नियुक्ति करने की आवश्यकता है ।

दिल्ली से मुकेश गुप्ता की रिपोर्ट

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