फिल्म – द होली फिश, सपनों और संघर्ष का यह सिनेमा दर्शकों तक पहुंचना जरूरी है

सिनेमा अब सिर्फ बड़े बैनर्स और फ़ॉर्मूला कहानियों की दहलीज पार कर इए लोगों के हाथ पहुँचता जा रहा है जो इसे सामजिक सरोकार से जोड़कर देखते हैं. सार्थक मनोरंजन के जरिये समाज को एक सन्देश भी देना चाहते हैं. हालांकि ऐसी फिल्में बनाना कतई आसान नहीं होता है. क्योंकि इसमें फिल्म की लागत एक निर्माता नहीं देता बल्कि कई लोगों से थोड़े थोड़े पैसे जमा करके फिल्म बनानी होती है. लेकिन इस असंभव से लगते काम को साकार कर दिखाया है लेखक- निर्देशक विमल चन्द्र पांडे ने. क्राउड फंडिंग के जरिये बनी संदीप मिश्रा और विमल चन्द्र पांडे की फिल्म द होली फिश 23वें कोलकाता इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के लिए चुनी गयी है.
ये महज फिल्म नहीं एक सपने के पल्लवित होने की कहानी है. फिल्म से पहले विमल बतौर कहानीकार भारतीय ज्ञानपीठ नवलेखन पुरस्कार भी पा चुके हैं. फिल्म की कहानी एक एक रिटायर्ड शिक्षक परशुराम के इर्दगिर्द घूमती है जो कि जिन्दगी और मौत के एक करीबी हादसे से गुजर कर अन्दर से बदल जाता है. हम्बल बुल क्रियेशन के बैनर तले बनी इस फिल्म में सैयद इकबाल अहमद, सुमन पटेल, अश्विनी अग्रवाल, अभिनव शर्मा, निशांत कुमार. सचिन चन्द्र, प्रतिमा वर्मा और शिवकांत अभिनय करते नजर आएंगे. गौरतलब है कि यह फिल्म कोलकाता इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के अलावा देश दुनिया के कई प्रतिष्ठित फिल्म समाराहों के लिए चुनी जा चुकी है. इस तरह के सार्थक सिनेमा को दर्शकों और बड़े फिल्म मेकर्स का सहयोग और प्रोत्साहन जरूरी है.

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