Delhi News : साध्वियों से बलात्कार के मामले में जेल की चक्की पीस रहे बाबा राम रहीम अब खूनी भी हो गए हैं.

रेपिस्ट किलर बाबा गुरमीत सिंह राम रहीम रेपिस्ट से किलर बना बाबा, अब मुश्किल है जेल से बाहर आना

बलात्कारी भी वो. कातिल भी वो. ढोंग का सामान भी वो. धर्म की दुकान भी वो. छल, कपट, लालच, धोखा, हवस और आस्था की अस्मत से खेलने वाला शैतान भी वो. मगर अब ना उसके चेहरे पर बाबा का मुखौटा है और ना ही इर्द-गिर्द उन भक्तों की भीड़ जिनकी मासूमियत को उसने छला था. अब बस कुछ है तो जेल की पथरीली फर्श और जिस्म पर कैदी नंबर 1997 की वर्दी. गुरमीत राम-रहीम इंसां को एक बार फिर अदालत ने इंसान मानने से इंकार करते हुए क़ातिल क़रार दे दिया है. बलात्कारी तो खैर वो पहले ही से था. तो पेश है एक बाबा के बलात्कारी से लेकर कातिल बनने तक की पूरी कहानी.

अपने डेरे में साध्वियों से बलात्कार के मामले में जेल की चक्की पीस रहे हीरो हीरालाल बाबा राम रहीम को अपने किए का एक और इनाम मिला है. अब बाबा बलात्कारी के साथ साथ खूनी भी हो गए हैं. ये वही हीरो हीरालाल बाबा हैं जो कभी खुद को मल्टी टैलेंटेड बताते थे, तो कभी भगवान. अध्यात्म से लेकर फिल्मों तक हर हुनर में क्रांति ले आए थे. और फिल्मों में भी बाबा सिर्फ हीरो नहीं बने, बल्कि डायरेक्टर, संगीतकार, लेखक, गीतकार, सिनेमेटोग्राफर, ड्रेस डिज़ाइनर, यानी ऑल इन वन थे बाबा. हरफन मौला राम रहीम ने अपने हर एक फन और ढोंग से पैसों की ऐसी झड़ी लगाई की अपने इर्द-गिर्द एक पूरी मायावी दुनिया ही खड़ी कर ली.

डेरा प्रमुख शाह सतनाम सिंह ने सात साल के गुरमीत सिंह को जब राम रहीम का नाम देकर उसे अपना डेरा सौंपा था. तब उन्हें भी अंदाज़ा नहीं रहा होगा कि उनका ये शिष्य डेरे की पाकीज़गी को पाखण्ड के पेंट से पोत देगा. और उस पर अध्यात्म की नहीं अय्याशी की इबारत लिखेगा. बाबा राम रहीम हिंदुस्तान का पहला ऐसा बाबा बना जिसने बाबाओं को लेकर सबकी सोच बदल दी कि बाबा ऐसे कपड़े भी पहन सकते हैं. बाबा ऐसे गाड़ियां भी चला सकते हैं. बाबा ऐसे स्टंट भी कर सकते हैं. बाबा ऐसे नाच भी सकते हैं. बाबा ऐसे गा भी सकते हैं. बाबा ये भी कर सकते हैं. बाबा वो भी कर सकते हैं. यहां तक कि बाबा महल के अंदर गुफा भी बना सकते हैं. और उन गुफाओं में बाबा साध्वियों के विश्वास के मुंह पर कालिख भी पोत सकते हैं.

सिरसा के डेरे में बाबा गुरमीत राम रहीम की एक गुफा है, जहां वो साध्वियों को अपनी हवस का शिकार बनाया करता था. और आज जेल में वो अपने उन्हीं कुकर्मों की सज़ा भुगत रहा है. ये गुफा बाबा ने अपने डेरे में गुप्त रुप से कई बरसों से बना रथी थी. फिर कोई समझ नहीं पाया कि बाबा का तिलिस्म क्या था. वो गुफा में करता क्या था. असल में बाबा और उसकी हनी ने अपने इर्द-गिर्द इस रहस्यलोक का चक्रव्यूह रचा ही कुछ ऐसा था. जो बाहर से देखने में मामूली था मगर जैसे जैसे कोई अंदर आता जाता था, वो इस चक्रव्यूह में फंसता चला जाता. इसमें में वो भी फंसे जो सेवादार थे. वो भी जो वफादार थे. वो भी जो पढती थीं. वो भी जो पढ़ाती थीं. वो भी जो बीमार थे. वो भी जो तीमारदार थे. वो भी जो रिश्तेदार थे और वो भी जो जानकार थे.

कुल मिलाकर इस रहस्यलोक के चक्रव्यूह से दो ही लोग महफूज़ थे. एक वो जिसने इसे बनाया था. यानी बाबा गुरमीत राम रहीम. और दूसरी वो जो इसमें लोगों को फंसाती थी. यानी बाबा की हनीप्रीत. बाकी तमाम मोहरे थे. जिन्हें वो उंगलियों पर नचाते थे और वो इशारों पर नाचते थे. बाबा के रहस्यलोक का ये तो सिर्फ एक पहलू है. रंगीनमिज़ाजी के अलावा भी बाबा के कुकर्मों की फेहरिस्त बहुत लंबी है. जिस बाबा को एक जोड़ी कपड़े में उम्र गुज़ार देनी चाहिए उसकी रंग बिरंगी पोशाकें. सोने सा महल और महंगी महंगी गाडियां ये बिना बोले ही बता देंगी कि इस बाबा की नियत में खोट है.

बाबा का रहस्यलोक सिर्फ रंगीनियों और ऐशो-आराम से ही नहीं भरा हुआ था बल्कि उनके सेवादार बताते हैं कि इसकी दरो-दीवार में बेबस साध्वियों की चीखें दबी हुई हैं. इसे बेगुनाहों के खूनों से सिंचा गया है. मगर बाबा के रहस्यलोक में उसी का राज था. वही खुदा था. मगर वो भी जानता था कि जिस रास्ते पर वो चल रहा है. एक ना एक दिन उसका अंजाम बुरा होने वाला है और वही हुआ. दो बलात्कार के लिए बीस साल जेल पहली किश्त में मिली और अब कत्ल के लिए अगली किश्त का इंतजार है.

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