CJI के खिलाफ आएगा महाभियोग प्रस्ताव , कांग्रेस संग विपक्ष हुआ लामबंद
कर्नाटक चुनाव और 2019 के आम चुनावों में मोदी सरकार की हार की इबारत लिखने के लिए हर राज्य के चुनावों की तरह एक बार फिर कांग्रेस और विपक्ष ने हाथ मिला लिया है । लेकिन कांग्रेस ने इस बार अपनी चुनावी चाल बदलते हुए मोदी सरकार की जगह सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर निशाना साधा है । कांग्रेस- विपक्ष के साथ मिलकर उनके खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी कर रही है ।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के चार जजों द्वारा आरोप लगाए जाने के बाद सुर्खियों में आए देश के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के सामने एक बार फिर मुश्किल खड़ी हो सकती हैं. कांग्रेस उनके खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी कर रही है. कांग्रेस ने अन्य विपक्षी दलों को इस महाभियोग का प्रस्तावित ड्राफ्ट भेजा है. NCP ने महाभियोग के इस प्रस्ताव की पुष्टि भी की है ।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कांग्रेस ने महाभियोग प्रस्ताव का ड्राफ्ट विपक्षी दलों को बांटा है। NCP नेता और सीनियर एडवोकेट माजिद मेनन ने दावा किया कि कांग्रेस इस पर दस्तखत कर चुकी है और NCP भी समर्थन करेगी। NCP के ही डीपी त्रिपाठी ने कहा, “कई विपक्षी दल सीजेआई के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव के ड्राफ्ट पर दस्तखत कर चुके हैं।’ हालांकि, राज्यसभा में कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, “आज की तारीख में CJI के खिलाफ महाभियोग पर कांग्रेस ने कोई स्टैंड नहीं लिया है।’ CJI का कार्यकाल 2 अक्टूबर तक है।
इस मामले पर बीजेपी के नलिन कोहली ने कहा, “महाभियोग प्रस्ताव न्यायपालिका के राजनीतिकरण की दिशा में उठाया गया कदम है। राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामलों में चीफ जस्टिस की भूमिका सीमित करने के लिए यह प्रस्ताव लाया जा रहा है।”
मनमाने तरीके से पसंदीदा जजों को केस देने का आरोप
सूत्रों के अनुसार ड्राफ्ट में सीजेआई पर चुनिंदा जजों को मनमाने तरीके से केस आवंटित करने के लिए अथॉरिटी के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया है। इसके पहले इश्यू में मिश्रा पर प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट मामले में रिश्वत लेने का भी आरोपी बनाया है। इस केस में मेडिकल कॉलेज स्थापित करने के लिए न्यायपालिका में उच्च पदों पर रिश्वत दिए जाने का आरोप है।
कैसे आता है महाभियोग प्रस्ताव
जज के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव किसी भी सदन में लाया जा सकता है। लोकसभा में सदन के कम से कम 100 सांसदों के दस्तखत जरूरी हैं। वहीं, राज्यसभा में प्रस्ताव के लिए 50 सांसदों के समर्थन की जरूरत है। सदन का सभापति या अध्यक्ष प्रस्ताव को स्वीकार या खारिज कर सकता है।