पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव की अध्‍यक्षता में सिविल सोसायटी

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव की अध्‍यक्षता में सिविल सोसायटी संगठनों की गतिविधियों को सीओपी में शामिल करने के बारे में खुली वार्ता का आयोजन

मरूस्‍थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्‍त राष्‍ट्र समझौते (यूएनसीसीडी) के बारे में पार्टियों का 14वां (सीओपी-14) सम्‍मेलन इंडिया एक्‍सपो सेंटर एंड मार्ट ग्रैटर नोएडा में आयोजित किया जा रहा है। यह सम्‍मेलन 12 दिन चलेगा। आज इसका चौथा दिन था। सीओपी विषयगत दिवस की मेजबानी के साथ सीओपी-14 समझौते के कार्य के विभिन्‍न क्षेत्रों पर ध्‍यान केंद्रित कर रहा है। आज विज्ञान दिवस मनाया गया जिसमें जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता और भूमि क्षरण के हालिया वैज्ञानिक आकलनों के परिणामों के बारे मे जानकारी दी गई। विज्ञान और नीति को एक साथ मिलाना पानी और तेल को एक साथ मिलाने के समान है। जो असंभव लगता है। विज्ञान जटिल घटनाओं को उनके मूलभूत भागों में समेट लेता है। वैज्ञानिक हमेशा परिकल्‍पना का परीक्षण करते हैं और संभावनाओं की गणना करते हुए अनिश्चितताओं की रिपोर्टिंग करते हैं। नीति निर्माण सभी सिंथेसिस के बारे में है। यूएनसीसीडी की कार्यकारी सचिव श्री इब्राहिम थिआवो ने यह सब विज्ञान दिवस के अवसर पर अपने स्‍वागत भाषण में कहा। रियो कनवेन्‍शन पवेलियन विज्ञान दिवस का यह खंड पिछले दो वर्षों में भूमि के बारे में आयोजित चार प्रमुख वैज्ञानिक आकलनों को एक मंच पर लाता है।

पिछले चार महीनों में जलवायु परिवर्तन के बारे में अंतर सरकारी पैनल द्वारा जलवायु परिवर्तन और भूमि तथा जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र के बारे में दो महत्‍वपूर्ण रिपोर्ट प्राप्‍त हुई हैं। दोनों रिपोर्ट यह दर्शाती हैं कि भूमि में महत्‍वपूर्ण बदलाव हुए हैं और इसके लचीलेपन की सीमा का परीक्षण किया गया है।

इसी दौरान, अफ्रीकी देश भू क्षरण से निपटने और प्रवासन गठबंधन के लिए एक मंच पर आएं। मरूस्‍थलीकरण, भू क्षरण और सूखे से जुड़ा पलायन भविष्‍य का मुद्दा नहीं है बल्कि दक्षिण अमेरिका और प्रशांत क्षेत्र के माध्‍यम से एशिया से अफ्रीका तक हमारी मौजूदा वास्‍तविकता है। हम तत्‍काल कार्रवाई करने का जोखिम नहीं उठा सकते, नहीं तो दुनिया के सामने भारी संकट आ जायेगा। ऐसा अंतर्राष्‍ट्रीय प्रवासन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन संगठन की नीति अधिकारी श्रीमती मरियम त्रोराचारज़ेलोनेल ने कहा।

यूएनसीसीडी सीओपी 14 में पार्टियों के कान्‍फ्रेंस के कार्य के आधिकारिक कार्यक्रम में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव श्री सी के मिश्रा की अध्‍यक्षता में  सिविल सोसायटी संगठनों की गतिविधियों को सीओपी में शामिल करने के बारे में खुली वार्ता का आयोजन हुआ।

भारत 02 सितम्‍बर से 13 सितम्‍बर तक चलने वाले यूएनसीसीडी सीओपी 14 का मेजबान देश है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी 09 सितम्‍बर, 2019 को उच्‍चस्‍तरीय खंड का उद्घाटन करेंगे और सम्‍मेलन को संबोधित करेंगे। इससे पहले पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि यूएनसीसीडीसी से अच्‍छे परिणाम प्राप्‍त होने की उम्‍मीद है। जिन्‍हें दिल्‍ली घोषणा में अधिसूचित किया जायेगा।

यूएनसीसीडी एक अंतर्राष्‍ट्रीय समझौता है जो जनता, समुदाय और देशों की धन सृजन करने तथा अर्थव्‍यवस्‍था विकास में मदद करने के अलावा भू उपयोग सुनिश्चित करके पर्याप्‍त खाद्य, जल और ऊर्जा सुनिश्चित करके सतत भूमि प्रबंधन के लिए सक्षम वातावरण प्रदान करता है। सूखे का प्रभावी रूप से प्रबंध करने के लिए इसने मजबूत सिस्‍टम स्‍थापित किए हैं।

यह समझौता दिसम्‍बर, 1996 में लागू हुआ था। यह जलवायु परिवर्तन के बारे में संयुक्‍त राष्‍ट्र ढांचा समझौता (यूएनएफसीसी) और बॉयोलॉजिकल विविधता के बारे में समझौते (सीबीडी) के साथ तीन रियो समझौतों में से एक हैं। भारत 14 अक्‍तूबर, 1994 को यूएनसीसीडी का हस्‍ताक्षरकर्ता बना और 17 दिसम्‍बर, 1996 को इसकी पुष्टि हुई।

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