हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के तत्कालीन मुख्य प्रबंधक के खिलाफ सीबीआई की जांच

सीबीआई मामलों के लिए विशेष न्यायाधीश, बंगलौर ने श्री मंदा वरप्रसाद राव, तत्कालीन मुख्य प्रबंधक (आई एम एम), मेसर्स हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, बंगलौर को एक रिश्वतखोरी मामले में दो लाख रुपए के फाइन के साथ चार साल के साधारण कारावास से गुजरने की सजा सुनाई है.

सीबीआई ने श्री मंदा Varaprasad राव, मुख्य प्रबंधक (आई एम एम),के खिलाफ एक शिकायत पर 26.10.2004 पर केस दर्ज किया था. मेसर्स हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, बंगलौर, यू/एस 7 और धारा 13 (2) आर/डब्ल्यू 13 (1) (डी) के पीसी अधिनियम, 1988 के तहत यह आरोप लगाया गया था कि आरोपी ने बिजली के तारों के स्टॉक के एवज में शिकायतकर्ता की फर्म द्वारा मेसर्स एचएएल, बैंगलोर को दी गई बैंक गारंटी के आव्हान पर रोक लगाने के लिए शिकायतकर्ता से रिश्वत मांगी, कुछ रोड़ा के कारण । CBI ने एक जाल बिछाई और शिकायतकर्ता से 50000/-रुपये की रिश्वत स्वीकार करते हुए आरोपी को रंगे हाथ पकड़ लिया । जांच के बाद आरोपी के खिलाफ 09.06.2005 पर एक आरोपपत्र दायर किया गया ।

[ ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को दोषी पाया और उसे दोषी करार दिया ]

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