Bareilly News ; यज्ञोपवित संस्कार यज्ञ सांस्कृतिक कार्यक्रम संपन्न हुआ
यज्ञोपवित संस्कार यज्ञ सांस्कृतिक कार्यक्रम संपन्न हुआ
रूहेलखंड मंडल का एकमात्र जीवन गुरुकुल श्री तिव्री नाथ सॉन्ग वेद संस्कृत महाविद्यालय नैनीताल मार्ग बरेली के प्रांगण में आज बसंत पंचमी पर्व पर प्रातः काल की बेला में ब्रह्माचारी मूर्खों का सामूहिक यज्ञोपवित संस्कार यज्ञ आचार्य महेश शर्मा आचार्य आदेश शर्मा आचार्य बृजेश पनेरु पंडित सौरभ उपाध्याय एवं वरिष्ठ छात्रों के सामूहिक नेतृत्व में वैदिक सनातन परंपरा अनुसार श्री गणेश अंबिका पूजन षोडश मातृका पूजन कलश पूजन नवग्रह पूजन सर्वतो भद्र मंडल स्थ देव पूजन अग्नि स्थापन होम समावर्तन संस्कार करमानासा पूजन किया गया प्रातः काल से ही ब्रह्मचारी बटुक गुरुकुल परिवेश में दंड धारण कर जीवंत प्राचीन स्मृति की याद दिला रहे हैं ब्रह्मचारी बूट कोने प्रधानाचार्य श्री बंशीधर पांडे से विधिवत दीक्षा मंत्र गुरु मंत्र ग्रहण किया हृदयासरसीले इससे अभिभावकों जनों ने के नेत्र सर्जन हो गए तत्पश्चात दीक्षा प्राप्ति हेतु ब्रह्मचारी ने दोनों हाथ फैला कर सब जनों से यात्रा की जिसके अहम का त्याग होवे संचय कर वृत्ति ना पन पर उपस्थित जन समुदाय द्वारा भिक्षा प्रदान करने समय वातावरण भावुक हो गया यह प्राचीन गुरुकुल परंपरा का नित्य नियम दीक्षा को होता था वर्तमान शिक्षा प्रणाली रोजगार के दृष्टिकोण से ही विकसित है जिसमें नैतिक व चारित्रिक गुणों की विशेषता का कोई प्रावधान नहीं है प्रधानाचार्य ने बताया कि यगोपवित संस्कार के उपरांत ही ब्रह्मचारी वेदा अध्ययन का अधिकारी माना जाता है इसी प्रकार ज्ञान की देवी सरस्वती की आराधना का पर्व ऋषि-मुनियों ज्ञानी जनों की साधना का दिवस अमृत महोत्सव भी है संस्कार द्वारा ही संस्कार युक्त जीवन प्रारंभ होता है यगोपवित के 3 सूत्र तीन ऋण देव ऋषि व पित्र है साथ ही तीन प्रकार की मालवीय वृत्तियां सत राज व तम के भी परिचायक हैं यह पर्व मेघा वृद्धि के यज्ञरंभ का प्रतीक है सरस्वती देवी की आराधना का पर्व गुरुकुल ओं का विशिष्ट पर्व है परमात्मा ने अनेकानेक सुंदर भोग्य पदार्थों को मनुष्य एवं प्राणियों हेतु उत्पन्न किए हैं जिनका मानव विकास एवं जीवन यापन में सहयोग है इसके प्रति कृतज्ञता ज्ञापन देवरी ले है माता पिता संतान उत्पत्ति के पश्चात स्वयं कष्ट सहन कर उसका लालन पोषण करते हैं उनके प्रति दायित्व का निर्वहन पित्र रिन है शिष्य को गुरु शिक्षा प्रदान कर उसे संसार के कष्टों को सहन करने संघर्षों का सामना करने हेतु तैयार करते हैं उन मनीषी जनों के प्रति कृतज्ञता ऋषि ऋण है इस अवसर पर राम कुमार अग्रवाल जी प्रेम शंकर अग्रवाल राधा कृष्ण खंडेलवाल महेश चंद शर्मा सुधीर गोयल अशोक अग्रवाल आदि गणमान्य जन एवं दूर-दूर से आए अभिभावक उपस्थित रहे व्यवस्थाओं में आचार्य प्रशांत कुमार निधि सक्सेना जगत नारायण द्विवेदी संजय बिसारिया विप्लव जायसवाल शिवबालक शर्मा मुकेश अरुण सुरेंद्र सुमित आदि ने योगदान दिया