Bareilly News : उर्स ए रज़वी के दूसरे दिन पहुचे हजारों जायरीन
बरेली में उर्स ए रज़वी के दूसरे दिन आज मुफ़्ती ए आज़म व रेहान ए मिल्लत के कुल शरीफ की रस्म अदा की गयी ।
दरगाह प्रमुख मौलाना सुब्हान रज़ा खान (सुब्हानी मियां) की सरपरस्ती, सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां) की सदारत व उर्स प्रभारी सय्यद आसिफ मियां की देखरेख में महफ़िल का आगाज़ हाजी गुलाम सुब्हानी ने किया । इससे पहले क़ुरान की तिलावत कारी रिज़वान रज़ा ने की । सुबह से देश विदेश के उलेमा ने तक़रीर की वहीं मशहूर शोहरा (शायर) ने अपने कलाम पेश किए । फातिहा मुफ़्ती अफ़रोज़, मुफ़्ती सलीम नूरी,, मुफ़्ती कफील हाशमी शज़रा कारी अब्दुर्रहमान कादरी ने पढ़ा । खुसूसी दुआ मुफ़्ती अनवर अली ने की ।
उलेमा ने अपनी तक़रीर में मज़हब ए इस्लाम, सुन्नियत, दीन के अहकाम, मसलक ए आला का मिशन व मक़सद, मुफ़्ती ए आज़म हिन्द और रेहान ए मिल्लत के किरदार पर रोशनी डालते हुए कहा कि मुफ़्ती ए आज़म ने 92 साला में सौ से ज्यादा किताबें और लगभग 2 लाख फतवे लिखें । आपके मशहूर फतवे जिसमें तस्वीर बनाना, नसबंदी कराने को हराम करार दिया वहीं लाऊड सपीकर पर नमाज़ पढ़ने के विरोध में भी फतवा दिया । कारी अब्दुर्रहमान क़ादरी रेहान ए मिल्लत को खिराज पेश करते हुए कहा कि दुनिया भर में शहर की “बरेली शरीफ” की शक्ल में पहचान दिलाने के लिए गैर मुल्कों का दौरे किये । अन्य उलेमा ने अपनी तक़रीर में कहा कि महान मुजद्दीद आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान इल्म का वह सूरज है जिसकी जलवागिरी उन्नीसवीं सदी ईसवी के आखिर और बीसवीं सदी तक है । सिर्फ दीनी तालीम ही नही इमाम अहमद रज़ा को विज्ञान और दूसरे मजमूनो में भी कमाल की महारत हासिल थी । आज दुनिया की हर बड़ी यूनिवर्सिटी में आप पर शोध जारी है । तुर्की से आये आला हज़रत के इल्म पर चर्चा करते हुए कहा कि आला हज़रत जो कुछ अल्लाह ने अता किया वो इश्क़ ए रसूल की बुनियाद थी । इसी इश्क़ से मुसलमानों को दीनी तरक्की, सियासी कामयाबी, इल्म का सबक दिया । बल्कि हक़ीक़त यही है जिसे मुहब्बते रसूल का सबक मिल गया वह दुनिया की तमाम दौलत से मालामाल हो गया ।
दरगाह से जुड़े नासिर क़ुरैशी ने बताया कि आज मुफ़्ती सलीम नूरी, मुफ़्ती निज़ाममुद्दीन पटेल, मौलाना फैसल अहमद रज़ा, अल्लामा कमरूज़ज़्मा आज़मी, मौलाना निसार रज़वी, अल्लामा फरोग उल क़ादरी (इंग्लैंड), मौलाना तहसीन रज़वी फिज़ी (ऑस्ट्रेलिया), मौलाना यूनुस रज़ा, अब्दुल सलीम (साउथ अफ्रीका), मौलाना रफ़ीक़ रज़वी (मारीशस), मौलाना मुख्तार बहेडवी, कारी सखावत, मौलाना ज़िक्रउल्लाह, मुफ़्ती रिज़वान नूरी, आदि का बेहतरीन खिताब हुआ । निज़ामत (संचालन) मौलाना यूसुफ रज़ा संभली ने की । देर रात मुफ़्ती ए आज़म हिंद के कुल शरीफ की रस्म अदा की गई । मुल्क और मिल्लत की तरक्की व खुशहाली के लिए सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन रज़ा क़ादरी ने दुआ की। देश विदेश से लाखों ज़ायरीन अब तक बरेली पहुँच चुके है । दरगाह पर सभी गुलपोशी व फ़ातिहाख्वानी के बाद दरगाह प्रमुख हज़रत सुब्हानी मियां से मिलकर दुआ हासिल कर रहे है वही जो लोग अभी तक दाखिले सिलसिला नही हुए है वो हज़रत के हाथो बैत (मुरीद) हो रहे है ।
उर्स की व्यवस्था में हाजी जावेद, मौलाना ज़ाहिद रज़ा, मुफ़्ती बशीर उल क़ादरी, राशिद अली खान, शाहिद खान, परवेज़ नूरी, अजमल नूरी, औरंगज़ेब नूरी, मंज़ूर खान, अदनान खान, ताहिर अल्वी, यूनुस साबरी, फ़ारूक़ खान, ज़ोहेब रज़ा, शारिक उल्लाह खान, आसिम नूरी, आलेनबी, अब्दुल वाजिद खान, हाजी अब्बास नूरी, सबलू रज़ा, आरिफ रज़ा, सय्यद जुनैद अजहरी, सय्यद माज़िद, सय्यद एजाज़, सय्यद फरहत, काशिफ सुब्हानी, शान रज़ा, तारिक सईद, मुनीर शम्शी, सय्यद मुदस्सिर, सरताज बाबा, हाजी शारिक नूरी, सैफ खान, अश्मीर रज़ा, यूनुस गद्दी, मुजाहिद बेग, साजिद नूरी, रेहान अजहरी, सय्यद सैफी, अब्दुल जब्बाद, फ़ैज़ क़ुरैशी, आसिफ रज़ा, अमान खान आदि ने सम्भाली ।
25 अक्टूबर कार्यक्रम:- बाद नमाज़ ए फजर कुरानख्वानी होगी । सुबह से देश विदेश के उलेमा की तक़रीर शुरू ही जाएगी । दोपहर 2.38 मिनट पर आला हज़रत के कुल शरीफ की रस्म अदा की जाएगी । 3 बजे सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन मिया उर्स स्थल पर जुमा की नमाज़ अदा कराएंगे । इसी के साथ तीन रोज़ा उर्स का समापन हो जाएगा ।