अभिनेता प्राण ने खलनायकी को नये अंदाज में पेश किया

अभिनेता प्राण ने खलनायकी को नये अंदाज में पेश किया
  मुंबई 11 जुलाई  बॉलीवुड में प्राण ऐसे अभिनेता थे, जिन्होंने पचास और सत्तर के दशक के बीच फिल्म इंडस्ट्री पर खलनायकी के क्षेत्र में एकछत्र राज किया और अपने अभिनय का लोहा मनवाया।प्राण का जन्म 12 फरवरी 1920 को दिल्ली में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता केवल कृष्ण सिकंद सरकारी ठेकेदार थे। उनकी कंपनी सड़के और पुल बनाने के ठेके लिया करती थी। पढ़ाई पूरी करने के बाद प्राण अपने पिता के काम में हाथ बंटाने लगे। एक दिन पान की दुकान पर उनकी मुलाकात लाहौर के मशहूर पटकथा लेखक वली मोहम्मद से हुयी। वली मोहम्मद ने प्राण की सूरत देखकर उनसे फिल्मों में काम करने का प्रस्ताव दिया। प्राण ने उस समय वली मोहम्मद के प्रस्ताव पर ध्यान नहीं दिया लेकिन उनके बार-बार कहने पर वह तैयार हो गये।
वर्ष 1940 में प्रदर्शित फिल्म ..यमला जट .. से प्राण ने अपने सिने करियर की शुरुआत की। फिल्म की सफलता के बाद प्राण को यह महसूस हुआ कि फिल्म इंडस्ट्री में यदि वह करियर बनायेगें तो ज्यादा शोहरत हासिल कर सकते हैं। इस बीच भारत बंटवारे के बाद प्राण लाहौर छोड़कर मुंबई आ गये। इस बीच प्राण ने लगभग 22 फिल्मों में अभिनय किया और उनकी फिल्में सफल भी हुयी लेकिन उन्हें ऐसा महसूस हुआ कि मुख्य अभिनेता की बजाय खलनायक के रूप में फिल्म इंडस्ट्री में उनका भविष्य सुरक्षित रहेगा ।वर्ष 1948 में उन्हें बांबे टॉकीज की निर्मित फिल्म ..जिद्दी.. में बतौर खलनायक काम करने का मौका मिला। फिल्म की सफलता के बाद प्राण ने यह निश्चय किया कि वह खलनायकी को ही करियर का आधार बनाएंगे और इसके बाद प्राण ने लगभग चार दशक तक खलनायकी की लंबी पारी खेली और दर्शको का भरपूर मनोरंजन किया ।वर्ष 1958 में प्रदर्शित फिल्म अदालत में प्राण ने इतने खतरनाक तरीके से अभिनय किया कि दर्शकों को पसीने आ गये। सत्तर के दशक में प्राण खलनायक की छवि से बाहर निकलकर चरित्र भूमिका पाने की कोशिश में लग गये। वर्ष 1967 में निर्माता -निर्देशक मनोज कुमार ने अपनी फिल्म ..उपकार .. में प्राण को मलंग काका का एक ऐसा रोल दिया जो प्राण के सिने करियर का मील का पत्थर साबित हुआ।फिल्म ..उपकार .. में प्राण ने मलंग काका के रोल को इतनी शिद्दत के साथ निभाया कि लोग प्राण के खलनायक होने की बात भूल गये। इस फिल्म के बाद प्राण के पास चरित्र भूमिका निभाने का तांता सा लग गया। इसके बाद प्राण ने सत्तर से नब्बे के दशक तक चरित्र भूमिकाओं से दर्शको का मन मोहे रखा। सदी के खलनायक प्राण की जीवनी भी लिखी जा चुकी है, जिसका टाइटल.. एंड प्राण. रखा गया है । पुस्तक का यह टाइटल इसलिए रखा गया है कि प्राण की अधिकतर फिल्मों में उनका नाम सभी कलाकारों के पीछे..और प्राण.. लिखा हुआ आता था । कभी-कभी उनके नाम को इस तरह पेश किया जाता था.. एबव ऑल प्राण।प्राण ने अपने चार दशक से भी ज्यादा लंबे सिने करियर में लगभग 350 फिल्मों मे अपने अभिनय का जौहर दिखाया। प्राण के मिले सम्मान पर यदि नजर डालें तो अपने दमदार अभिनय के लिये वह तीन बार सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वर्ष 2013 में प्राण को फिल्म जगत के सर्वश्रेष्ठ सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार दिया गया था।प्राण को उनके कैरियर के शिखर काल में कभी उन्हें फिल्म के नायक से भी ज्यादा भुगतान किया जाता था। फिल्म डॉन में काम करने के लिए उन्हें नायक अमिताभ बच्चन से ज्यादा रकम मिली थी।अपने दमदार अभिनय से दर्शको को मंत्रमुग्ध करने वाले प्राण 12 जुलाई 2013 को इस दुनिया को अलविदा कह गये।
राघवेन्द्र सिंह आल राईट न्यूज़ लखनऊ

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